Delhi: बीआईपीएपी मशीन से बनाए जाएंगे अस्थायी आईसीयू
कोविड-19 (Photo Credits: Getty Images)

दिल्ली सरकार द्वारा किए गए एक आकंलन के मुताबिक दिल्ली में प्रतिदिन सामने आने वाले रोगियों की संख्या में 2 से 3 गुणा इजाफा होने की स्थिति में आईसीयू बेड की आवश्यकता भी 3 गुणा बढ़ जाएगी. आईसीयू बेड कि इस बढ़ी हुई आवश्यकता को अस्थाई तौर पर बनाए गए विशेष तरह के आईसीयू वार्ड के जरिए पूरा किया जाएगा. 'बीआईपीएपी' मशीन का इस्तेमाल अस्पतालों में अस्थायी आईसीयू बेड तैयार करने के लिए किया जाएगा. इसे आमतौर पर 'बीआईपैप' के रूप में जाना जाता है. यह एक प्रकार का वेंटिलेटर है. यह एक ऐसा उपकरण है जो सांस लेने में मदद करता है. इस प्रक्रिया को 'सकारात्मक दबाव वेंटिलेशन' कहा जाता है, क्योंकि यह डिवाइस हवा के दबाव से रोगी के फेफड़ों को खोलने में मदद करता है. यह भी पढ़ें: Coronavirus Vaccine Update: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने COVID19 टिका को लेकर दी जानकरी, कहा- सभी वैक्सीन निर्माताओं के साथ चल रही बातचीत

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "दिल्ली सरकार ने भी आईसीयू बेड बढ़ाए, उसके लिए हमें इस मशीन की जरूरत है, केंद्र सरकार इसको देने में हमारी मदद करेगी. इस मदद से हम दिल्ली सरकार के अस्पतालों में और आइसीयू बेड बढ़ा सकते हैं." अभी दिल्ली में 16,641 कोविड बेड पूरी दिल्ली के अस्पतालों में हैं. इसमें 5451 बेड दिल्ली सरकार के अस्पतालों में हैं, जबकि केंद्र सरकार के अस्पतालों में 3721 बेड हैं और शेष बेड अन्य अस्पतालों से उपलब्ध कराए गए हैं.

मुख्यमंत्री ने कहा, "दिल्ली सरकार ने आने वाले सप्ताह में ज्यादा मरीज आने की आशंका के मद्देनजर बेड बढ़ाने का अनुरोध किया था." दिल्ली सरकार का भी मानना है कि कोरोना महामारी से जूझ रही दिल्ली को इस वक्त सबसे ज्यादा परेशानी आइसीयू बेड को लेकर हो रही है. पिछले कुछ दिनों में, खासकर लगभग 20 अक्टूबर के बाद से दिल्ली के अंदर कोरोना के केस बड़ी तेजी से बढ़ने लगे हैं. कोविड के आइसीयू बेड बहुत तेजी से भरते जा रहे हैं. इसी को देखते हुए दिल्ली सरकार राजधानी में आईसीयू बेड की क्षमता बढ़ाने का प्रयास कर रही है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, "इससे पहले भी जब दिल्ली सरकार ने केंद्र से समर्थन मांगा था, उसने हमेशा सकारात्मक सहयोग दिया है और जब भी आवश्यकता हो, राज्य को बेड, चिकित्सा सुविधा और अन्य सहायता प्रदान की है. दिल्ली मॉडल को व्यापक रूप से हर एजेंसी द्वारा स्वीकार किया गया था. सरकार के विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय की वजह से दिल्ली कोविड मामलों को नियंत्रित करने में कामयाब रहा."