कोच्चि, 14 अप्रैल : केरल में करीब दो साल पहले बाढ़ की विभीषिका के बीच मैरी सेबेस्टियन को एक पुलिसकर्मी कुर्सी पर बैठाकर किसी सुरक्षित स्थान पर ले गया और सेबेस्टियन का तबाह हो चुका वह घर वहीं छूट गया, जहां उन्होंने अपने जीवन के 70 साल बिताए थे. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह कभी अपने छोटे से इस आशियाने में लौट पाएंगी. सेबेस्टियन (85) मई 2021 में दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में तबाही मचाने वाले चक्रवात ‘तौकते’ के भयावह अनुभव को हाल में साझा करते हुए भावुक हो गईं. वह अब अपने पुराने घर में लौट चुकी हैं और उन्हें उम्मीद है कि उनके घर के ठीक सामने तट पर खड़ी की जा रही समुद्री दीवार अरब सागर की प्रचंड लहरों को रोककर उन्हें सुरक्षित रखेगी. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि कम से कम हमारे पास तट की रक्षा के लिए एक कवच है.’’ केरल में 40,000 मछुआरों की आबादी वाले चेलानम गांव के कई मूल निवासियों की तरह सेबेस्टियन भी जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले चक्रवात, बाढ़ और कटाव जैसी मौसमी आपदाओं के डर के साये तले जी रही है. भारत के दसियों लाख लोग समुद्री तटों के पास रहते हैं और इसलिए उन पर मौसमी घटनाक्रमों से प्रभावित होने का खतरा अधिक है.
समुद्रों का स्तर बढ़ने एवं महासागरों में तूफान से प्रभावित भारत समेत कई देश समुद्री दीवार बनाने की आम तकनीक अपनाते है. ये दीवार समुद्र की लहरों के लिए अवरोधक का काम तो करती हैं , लेकिन वैज्ञानिकों और जलवायु विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऐसी संरचनाएं केवल इतनी ही सुरक्षा प्रदान कर सकती हैं. कुछ साल पहले 2017 में आए ‘तौकते’ और ओखी जैसे घातक उष्णकटिबंधीय चक्रवात अरब सागर में उठे और उन्होंने इस गांव को तबाह कर दिया था. चेलानम ग्राम परिषद के पूर्व अध्यक्ष के. एल. जोसेफ के अनुसार, हर साल कम से कम 10,000-12,000 निवासी तटीय कटाव और ऊंची लहरों से प्रभावित होते हैं. लहरों को नियंत्रण में रखने के लिए कोई ढांचा खड़ा करने का सीधा मतलब है कि पानी को वापस समुद्र में धकेल दिया जाएगा, लेकिन यह जल कहीं और चला जाएगा और संभावित रूप से आस-पास के ऐसे तटवर्ती इलाकों में ऊंची लहरें पैदा करेगा, जहां समुद्री दीवारें न हों. इसके अलावा ये दीवारें ‘बीच’ को सीमित या नष्ट कर देती हैं. केरल स्थित तटीय सुरक्षा विशेषज्ञ जोसेफ मैथ्यू ने कहा कि ‘बीच’ को नुकसान होने से चेलानम का पारिस्थितिकी तंत्र बाधित होगा. यह भी पढ़ें : West Bengal: ओडिशा के तीन लोग 600 किलोग्राम मारिजुआना के साथ बंगाल में गिरफ्तार
चेलानम में कई साल से लोग इस मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं कि प्राधिकारी तटों की रक्षा का स्थायी समाधान खोजें. राज्य के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पिछले साल एक नयी तटीय सुरक्षा परियोजना का उद्घाटन किया था, जिसके तहत टेट्रापोड नामक कंक्रीट ढांचों से बनी एक समुद्री दीवार का निर्माण शामिल है. चेलानम बंदरगाह से पुथेनथोडु बीच तक सात किलोमीटर के दायरे में नई समुद्री दीवार के पहले चरण का अधिकांश काम पूरा हो जाने के बाद कम से कम अभी के लिए सेबेस्टियन जैसे स्थानीय निवासी अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं. सेबेस्टियन की पुत्रवधु ने कहा कि बाढ़ में फर्नीचर,बर्तन और टेलीविजन समेत उनका सारा सामान बह गया और अब वे ‘‘कुछ भले लोगों द्वारा दिए पुराने टेलीविजन, बर्तन और अन्य सामान’’ का इस्तेमाल कर रहे हैं. पास के कंदक्कदावु वार्ड की रहने वाली 55 वर्षीय रीता मारिया चक्रवात के भयावह अनुभव से अभी तक उबर नहीं पाई हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ समुद्र की लहरें और कई टन पानी ऊफान मारते हुए अपने साथ पुरानी दीवार के विशाल ग्रेनाइट पत्थरों को लेकर मेरे घर की ओर आ रहा था, मैं उसे देखकर हिल गई थी.’’
कंदक्कदावु में समुद्री दीवार निर्माण का काम लगभग पूरा हो गया है. शाम होते ही बच्चे तिरछे ग्रेनाइट ढांचे पर चढ़ते और टेट्रापोड के ऊपर बैठे नजर आते हैं. समुद्री दीवार से कुछ ही मीटर की दूरी पर खड़े चक्रवात के कारण टूट चुके एक मंजिला मकान का ढांचा इस प्राकृतिक प्रकोप से मची तबाही की लगातार याद दिलाता रहता है. एक अन्य मछुआरे सेबेस्टियन ने कहा कि समुद्री दीवार को लेकर लोग आशावान हैं, लेकिन आशंकित भी हैं. उन्होंने अपना पूरा नाम नहीं बताया. उन्होंने कहा, ‘‘हम तौकते जैसे किसी और भीषण चक्रवात के बाद ही नई समुद्री दीवार को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हो पाएंगे.’’ (यह लेख प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया, द एसोसिएटेड प्रेस और स्टेनली सेंटर फॉर पीस एंड सिक्योरिटी के बीच साझेदारी ‘इंडिया क्लाइमेट जर्नलिजम प्रोग्राम’ के तहत की जाने वाली खबरों का हिस्सा है.)