नयी दिल्ली, 20 अक्टूबर भारत में साइबर अपराधों के कारण 2019 में 1.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आने वाले दिनों में साइबर सुरक्षा को लेकर खतरें बढ़ेंगे क्योंकि देश स्मार्ट शहर विकसित करने के साथ 5जी नेटवर्क समेत अन्य कदम उठा रहा है।
नेशनल साइबर सिक्योरिटी समन्वयक लेफ्टिनेंट जनरल (डा.) राजेश पंत ने मंगलवार को कहा कि कुछ ही भारतीय कंपनियां साइबर सुरक्षा से जुड़े उत्पाद बना रहे हैं और इस क्षेत्र में काफी कुछ करने की जरूरत है। पंत ने साइबर हमलों को रोकने के लिये स्वदेशी सामाधान विकसित करने को लेकर साइबर सुरक्षा के लिये अलग से उद्योग मंच गठित करने का आह्वान किया।
उन्होंने उद्योग मंडल फिक्की के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘पिछले साल, आधिकारिक आंकड़े के अनुसार साइबर हमलों के कारण 1.25 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रैनसमवायर हमले लगातार बढ़ रहे हैं और ये अपराधी घरों से काम कर रहे हैं...ये लोग निष्ठुर हैं। वे अस्पतालों को निशाना बना रहे हैं क्योंकि वे जानते हैं कि आपात स्थिति में अस्पताल भुगतान करेंगे।’’
पंत ने कहा कि मोबाइल जैसे उपकरणों को लेकर स्थिति नाजुक है। फोन जैसे उपकरणों का उपयोग लोग विभिन्न सेवाओं के लिये कर रहे हैं।उन्होंने कहा, ‘‘हमने मोबाइल फोन पर साइबर हमलों का विश्लेषण किया। हमने पाया कि केवल ऐप ही नहीं बल्कि 15 अलग-अलग तत्व हैं, जिससे साइबर हमले हो सकते हैं। इसमें परिचालन प्रणाली, उसका प्रोसेसर, मेमोरी चिप, ब्लूटूथ और वाईफाई तक शामिल हैं।’’
पंत ने कहा कि इसके अलावा लोग अधिकृत स्टोर और तीसरे पार्टी स्रोत से ऐप डानलोड करते हैं। पहले से इंस्टॉल किए गए ऐप भी आंकड़े भेजते पाये गये।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि नई साइबर सुरक्षा रणनीति तैयार की जाएगी क्योंकि आने वाले वर्ष में साइबरस्पेस पर निर्भरता काफी बढ़ेगी।
पंत के अनुसार राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति (एनसीएसएस) का मकसद भारत में सुरक्षित, भरोसेमंद और गतिशील साइबरस्पेस सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा कि एनसीएसएस फिलहल उच्च स्तर पर है और अंतिम स्तर की मंजूरी की प्रतीक्षा है।
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