नयी दिल्ली, 15 दिसंबर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने हरियाणा के फरीदाबाद में पशुपालन एवं डेरी के उप निदेशक कार्यालय परिसर में पीपल के कई पेड़ों की कथित तौर पर अवैध कटाई को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए तथ्यों का पता लगाने के लिए एक समिति गठित की।
याचिका के अनुसार, हालांकि इन विरासत पीपल के पेड़ों को नष्ट कर दिया गया, लेकिन उनकी जड़ें अभी भी मौजूद हैं और संबंधित अधिकारियों से शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल की पीठ द्वारा 10 दिसंबर को दिये गए आदेश में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता ने पेड़ों की कटाई की अनुमति का उल्लेख किया है और कहा है कि हालांकि शीशम और विविध पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी, लेकिन पीपल के पेड़ों को काटने की अनुमति नहीं थी और उप निदेशक, रेंज अधिकारी और ठेकेदार के कहने पर पेड़ों की अवैध कटाई की गई है।’’
इसके बाद अधिकरण ने फरीदाबाद के प्रभागीय वन अधिकारी और हरियाणा के वन एवं पशुपालन विभाग को नोटिस जारी किया।
आदेश में कहा गया, ‘‘आरोपों की सत्यता का पता लगाने के लिए हम एक संयुक्त समिति गठित कर रहे हैं, जिसमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के क्षेत्रीय कार्यालय के प्रतिनिधि शामिल होंगे।’’
अधिकरण ने कहा कि संयुक्त समिति को घटनास्थल का दौरा करना होगा, अवैध वृक्षों की कटाई के स्तर का पता लगाना होगा, साथ ही यह भी पता लगाना होगा कि किस प्रकार के पेड़ों की कटाई की गई और यह भी पता लगाना होगा कि क्या सक्षम प्राधिकारियों से कोई अनुमति ली गई थी।
इसमें कहा गया है, ‘‘संयुक्त समिति पेड़ों की अवैध कटाई के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों/प्राधिकरण का भी पता लगाएगी तथा आठ सप्ताह के भीतर न्यायाधिकरण के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।’’
एनजीटी ने मामले को आगे की कार्यवाही के लिए तीन फरवरी को सूचीबद्ध किया गया है।
धीरज रंजन
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