देश की खबरें | अदालत ने छात्राओं की वीडियोग्राफी से जुड़े पॉक्सो मामले को रद्द करने की शिक्षक की याचिका खारिज की

बेंगलुरु, सात सितंबर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक शिक्षक के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दर्ज मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया है। उस पर आरोप है कि उसने छात्राओं के कपड़े बदलते समय उनका वीडियो बनाया था।

कोलार जिले में पिछड़े समुदायों के बच्चों के लिए एक आवासीय विद्यालय में कार्यरत आरोपी के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न का आरोप है।

न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना ने हाल ही में दिए अपने फैसले में शिक्षक के कृत्य को “भयावह” बताया तथा आरोपों की गंभीरता पर प्रकाश डाला।

शिक्षक को दिसंबर 2023 में गिरफ्तार किया गया था, जब अधिकारियों को पता चला कि उसने छात्राओं की गुप्त रिकॉर्डिंग के लिए कथित तौर पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया था।

अदालत ने कहा, “सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि याचिकाकर्ता के पास पांच अलग-अलग मोबाइल फोन पाए गए, जिनमें से सभी को जब्त कर लिया गया और फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया। प्रत्येक उपकरण में लगभग 1,000 तस्वीरें और कई सौ वीडियो थे।”

शिक्षक ने अदालत में अपील करते हुए तर्क दिया कि उसका कृत्य पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आते।

उच्च न्यायालय ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह से बच्चों का फिल्मांकन करना स्पष्ट रूप से अधिनियम में उल्लिखित यौन उत्पीड़न की परि के अंतर्गत आता है।

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