समिति ने 'विरोधियों' से यह भी कहा कि वे 'पंथ' के दुश्मनों का मोहरा नहीं बने।
मंगलवार को शिअद के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने मांग की थी कि पंजाब में हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद बादल को पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
पार्टी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, "शिरोमणि अकाली दल कार्यसमिति का पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में पूरा भरोसा है और वह आलोचकों से आग्रह करती है कि वे पंथ के दुश्मनों का मोहरा नहीं बने। समिति अध्यक्ष से पार्टी, पंथ और पंजाब के खिलाफ साजिशों को उजागर करने के प्रयासों का नेतृत्व करने का अनुरोध करती है।"
कार्यसमिति की बैठक में बादल के अलावा बलविंदर सिंह भुंडर, दलजीत सिंह चीमा, महेश इंद्र सिंह ग्रेवाल, हीरा सिंह गाबड़िया और परमजीत सिंह सरना सहित पार्टी नेता शामिल हुए।
बादल की क्षमता पर सवाल उठाते हुए पार्टी के बागी नेता और पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका ने बुधवार को कहा कि बादल के नेतृत्व में शिअद को लगातार चार चुनावों में हार का सामना करना पड़ा।
असंतुष्ट पार्टी नेताओं ने मंगलवार को घोषणा की थी कि अगले महीने 'शिअद बचाओ' आंदोलन शुरू किया जाएगा।
मलूका के अलावा बगावत का झंडा बुलंद करने वाले अन्य प्रमुख नेताओं में पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा, पूर्व शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) प्रमुख बीबी जागीर कौर, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला, पूर्व मंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा, सरवण सिंह फिल्लौर और सुरजीत सिंह रखड़ा तथा पार्टी नेता सुच्चा सिंह छोटेपुर शामिल थे।
मलूका ने कहा कि आम तौर पर पार्टी अध्यक्ष तब अपना पद छोड़ देते हैं जब पार्टी चुनाव हार जाती है।
उन्होंने 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों और 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों की ओर इशारा करते हुए पीटीआई- से कहा, "उनके (बादल) नेतृत्व में शिअद को लगातार चार चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है।"
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