देश की खबरें | बांग्लादेश के 28 शरणार्थी मिजोरम पहुंचे

आइजोल, 10 जनवरी सैन्य हमले से बचकर बांग्लादेश के ‘चटगांव पर्वतीय क्षेत्र (सीएचटी)’ से 16 बच्चों सहित कम से कम 28 लोगों ने मिजोरम में शरण ली है। लॉन्गतलाई जिले के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि ये बांग्लादेश पहाड़ी जिले बंदरबन के केरसेटलांग और पंखियांग गांवों के पांच परिवारों के लोग हैं और ये सात जनवरी को मिजोरम सीमा के पास जंगल पार करके लॉन्गतलाई जिले के ह्रुइतेजावल गांव में पहुंचे थे।

उन्होंने बताया कि ह्रुइतेजावल से बांग्लादेशी नागरिकों को असम राइफल्स द्वारा निकटवर्ती तुइथुम्हनार गांव के एक शिविर में ले जाया गया, जहां उन्हें अर्द्धसैनिक बल द्वारा भोजन और आश्रय प्रदान किया जा रहा है।

अधिकारी ने बताया कि असम राइफल्स से सूचना मिलने के बाद जिला प्रशासन ने मामले की जानकारी राज्य के गृह विभाग को दी, जिसने जिला प्रशासन और असम राइफल्स दोनों को मानवीय आधार पर शरणार्थियों को आश्रय प्रदान करने के निर्देश दिए।

उन्होंने बताया कि गृह विभाग के अधिकारियों और जिला प्रशासन के साथ वार्ता के बाद असम राइफल्स ने बृहस्पतिवार रात उन बांग्लादेशियों को तुइथुम्हनार के ग्राम परिषद नेताओं को सौंप दिया।

अधिकारी ने बताया कि इनमें आठ पुरुष, चार महिलाएं और एक से 17 वर्ष की आयु के 16 बच्चे शामिल हैं।

अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल दिसंबर तक बांग्लादेश से 2,014 लोगों ने म्यांमा और बांग्लोदश की सीमा से सटे लॉन्गतलाई जिले में शरण ली थी।

जिले में वर्तमान में 5,922 म्यांमा के शरणार्थी और 84 मणिपुर के आंतरिक रूप से विस्थापित लोग भी हैं।

बांग्लादेशी नागरिकों ने नवंबर 2022 में मिजोरम में प्रवेश करना शुरू कर दिया और एक अलग राज्य के लिए लड़ने वाले जातीय विद्रोही समूह कुकी-चिन नेशनल आर्मी (केएनए) के खिलाफ बांग्लादेशी सेना द्वारा कथित सैन्य हमले के कारण लॉन्गतलाई जिले में शरण ली।

सत्तारूढ़ ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के विधायक व मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार लालमुआनपुइया पुंते ने कहा कि राज्य सरकार बांग्लादेशियों को अलग-अलग गांवों में फैलाने के बजाय, बांग्लादेश सीमा के निकट लॉन्गतलाई जिले के चार गांवों में स्थानांतरित करने और एक साथ लाने की योजना बना रही है।

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