जर्मनी में हर साल रेलवे क्यों नीलाम करती है हजारों साइकिलें
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

जर्मनी में ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर सालाना लगभग ढाई लाख चीजें, यानी हर दिन औसतन 700 सामान लोग ट्रेनों या स्टेशनों पर भूल से छोड़ जाते हैं. इनके लिए खोया-पाया विभाग चलाने में रेलवे को काफी खर्च करना पड़ता है.जर्मनी में ट्रेनों या रेलवे स्टेशनों पर लोगों का अपना सामान भूल जाना रेलवे कंपनी डॉयचे बान (डीबी) के लिए महंगा सौदा है. डीबी के मुताबिक, रेलों में सफर करने वाले यात्री हर साल करीब 250,000 सामान साथ ले जाना भूल जाते हैं. यानी, एक दिन में तकरीबन 700 सामान खोते हैं. इनमें मोबाइल फोन, लैपटॉप, कपड़े, यहां तक कि शादी का गाऊन और नकली दांत भी.

खोने वाली आम चीजों में साइकिल भी है. डीबी के मुताबिक, औसतन 60 फीसदी खोया सामान उनके मालिकों को वापस मिल जाता है. लैपटॉप जैसे महंगे सामानों में तो वापस मिलने की संभावना 90 फीसदी तक है. साइकिल जैसी चीजों को वापस पाने का तरीका आसान है. अगर कोई ट्रेन में साइकिल भूल जाए, तो उसे साइकिल के खास ब्योरे बताने होंगे. मसलन, साइकिल कैसी दिखती है, किस ब्रैंड की है, रंग क्या है, कहां खोई थी वगैरह.

हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में खोई चीजों को संभालना आसान नहीं है. इन्हें जमा करना, सुरक्षित रखना, मालिक को वापस लौटाना या फिर उनकी रीसाइक्लिंग करनावाना, प्रबंधन की यह पूरी प्रक्रिया खर्चीली है. ऐसे में खोई हुई चीजों की नीलामी से मिली रकम लॉस्ट प्रॉपर्टी मैनेजमेंट के लिए इस्तेमाल की जाती है.

नीलामी की प्रक्रिया क्या है

2023 में भी डीबी ने सैकड़ों साइकिलों की नीलामी की. डीबी की एक प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी डीपीए को बताया, "हमारे 5,400 रेलवे स्टेशनों पर हर साल लगभग 2,700 साइकिलें मिलती हैं." इनमें से तकरीबन आधी साइकिलें 10 हफ्ते तक रखने के बाद नीलाम कर दी जाती हैं.

कीमतें बर्लिन-लीष्टेनबैर्ग नीलामी साइट के मुताबिक तय की जाती हैं. उदाहरण के तौर पर बाइक की वैरायटी और इसकी अवस्था के आधार पर इसके दाम तय होते हैं. औसत नीलामी की दर 60 यूरो (64.65 डॉलर) प्रति साइकिल होती है. इसके अलावा कई शहरों में ई-बाइक की भी नीलामी की गई है जिनकी बिड 300 यूरो से भी अधिक तक गई हैं.

साइकिल किस तरह की है और कैसी हालत में है, इससे उसकी कीमत निर्धारित होती है. प्रति साइकिल 60 यूरो की औसत कीमत से नीलामी शुरू होती है. कई शहरों में तो इलेक्ट्रिक साइकिलों की भी नीलामी होती होती है और इनकी बोली 300 यूरो के पार जाती है.

नीलामी प्रक्रिया के बारे में डीबी की प्रवक्ता ने बताया, "हर साइकिल की नीलामी से मिली रकम को शुरुआत में सुरक्षित रख दिया जाता है. अगर नीलामी के तीन साल के भीतर साइकिल का मालिक आ जाए, तो उन्हें रकम दे जाती है. वरना नीलामी से जमा हुए पैसे खोई हुए सामानों के प्रबंधन में खर्च होते हैं."

आरएम/एसएम (डीपीए)