Trump Tariff On Pharmaceuticals: अबकी बार फार्मा सेक्टर पर वार! ट्रंप के अमेरिकी टैरिफ से भारतीय दवा कंपनियों पर मंडराया संकट

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से अपने फैसले से दुनिया को चौंकाने वाले हैं. इस बार उनका निशाना बना है फार्मास्युटिकल्स सेक्टर. ट्रंप ने ऐलान किया है कि बहुत जल्द फार्मा उत्पादों पर भारी-भरकम टैरिफ यानी शुल्क लगाया जाएगा. इससे भारत की फार्मा कंपनियों को तगड़ा झटका लग सकता है, क्योंकि उनकी एक बड़ी कमाई अमेरिकी बाजार से होती है.

ट्रंप का बयान: "मेरा काम अमेरिकी सपनों की रक्षा करना है"

व्हाइट हाउस के रोज गार्डन में मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने दो टूक कहा— "हम फार्मास्युटिकल्स पर टैरिफ लगाने जा रहे हैं. फार्मा पर बहुत जल्द बहुत भारी टैरिफ लगेगा. मेरा काम अमेरिकी सपनों की रक्षा करना है. मुझे अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा करनी है, यही मेरा काम है."

ट्रंप ने दो अप्रैल को अमेरिका का "लिबरेशन डे" घोषित करते हुए कहा कि अब यह दिन अमेरिकी इंडस्ट्री के पुनर्जन्म के रूप में जाना जाएगा. उन्होंने कहा कि अमेरिका को इस दिन की लंबे समय से जरूरत थी और यही दिन अमेरिका को फिर से समृद्ध राष्ट्र बनाने की दिशा में अहम मोड़ बनेगा.

भारत की फार्मा कंपनियों पर असर

भारत के कुल अमेरिकी निर्यात में फार्मा सेक्टर की हिस्सेदारी करीब 11 फीसदी है. हर साल भारत अमेरिका को लगभग 76,000 करोड़ रुपये के फार्मा उत्पाद निर्यात करता है. ट्रंप के इस फैसले से भारत की कई दिग्गज दवा कंपनियों की आय पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. नीचे देखिए कुछ प्रमुख कंपनियों की अमेरिकी बाजार पर निर्भरता:

  • Gland Pharma – 50% आय अमेरिका से
  • अरबिंदो फार्मा – 48%
  • डॉ. रेडीज लैब – 47%
  • जायडस लाइफ – 46%
  • ल्यूपिन – 37%
  • सन फार्मा – 32%
  • सिप्ला – 29%
  • टोरेंट फार्मा – 9%

इन कंपनियों की कमाई का बड़ा हिस्सा अमेरिकी बाजार पर टिका है. ऐसे में भारी टैरिफ लगने की स्थिति में इनके शेयरों पर दबाव आ सकता है और भविष्य की योजनाओं पर भी असर पड़ सकता है.

भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों पर असर?

ट्रंप के इस कदम से भारत-अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में एक बार फिर से तनाव आ सकता है. पहले भी ट्रंप प्रशासन ने भारत को "डेवलपिंग नेशन" की सूची से हटाकर कई व्यापारिक छूट खत्म कर दी थीं. अब फार्मा सेक्टर पर टैरिफ लगाकर ट्रंप न केवल घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना चाहते हैं, बल्कि अमेरिकी बाजार में विदेशी निर्भरता को भी कम करना चाहते हैं.

ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का असर एक बार फिर भारतीय कंपनियों पर पड़ सकता है. भारत सरकार और फार्मा सेक्टर के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है. आने वाले दिनों में यह देखना अहम होगा कि भारत इस संभावित टैरिफ से कैसे निपटता है और क्या कोई कूटनीतिक समाधान निकलता है या नहीं.