बनजुल, 15 जुलाई: पश्चिम अफ्रीकी देश गांबिया में महिला जननांग काटने पर लगे प्रतिबंध यानी खतना पर लगे बैन को हटाने की कोशिश की गई. इसके लिए संसद में एक बिल लाया गया, जिसे सांसदों ने सोमवार को खारिज कर दिया. इस बिल को पास करने का प्रयास विश्व में पहली बार इस तरह के प्रतिबंध को उलटने की कोशिश थी, जिस पर दुनिया भर के कार्यकर्ताओं की नज़र थी.
यह बिल तीन मिलियन से भी कम आबादी वाले इस मुस्लिम बहुल देश में महीनों तक चली बहस का नतीजा था. सांसदों ने इस बिल को खारिज कर दिया क्योंकि उन्होंने बिल के सभी धाराओं को अस्वीकार कर दिया और अंतिम वोट से बचने का फैसला किया.
क्यों काटा जाता है महिलाओं का जननांग?
महिला जननांग काटने की प्रकिया को महिला जननांग विकृति भी कहा जाता है. इस प्रक्रिया में लड़कियों के बाहरी जननांगों को आंशिक या पूरी तरह से हटा दिया जाता है, जिसे अक्सर समुदाय के पारंपरिक चिकित्सकों द्वारा रेज़र ब्लेड जैसे औजारों से काट दिया जाता है. इस दौरान अधिक खून बह जाने से महिलाओं की मौत भी हो जाती है. कुछ महिलाओं को प्रसव संबंधी सम्याओं का सामना करना पड़ता है. फिर भी यह अफ़्रीका के कुछ हिस्सों यह में व्यापक रूप से प्रचलित है.
कार्यकर्ता और मानवाधिकार संगठन इस बात से चिंतित थे कि गांबिया में प्रतिबंध को उलटने से सदियों पुरानी प्रथा के खिलाफ किए गए वर्षों के काम पर पानी फिर जाएगा, जो अक्सर पांच साल से कम उम्र की लड़कियों पर किया जाता है और यौन शुद्धता और नियंत्रण की अवधारणाओं पर आधारित है.
धार्मिक रूढ़िवादी, जिन्होंने प्रतिबंध को उलटने के लिए अभियान का नेतृत्व किया,. उन्होंने तर्क दिया कि यह प्रथा "इस्लाम के गुणों में से एक है."
संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, गांबिया में 15 से 49 वर्ष की आयु की आधी से ज़्यादा महिलाओं और लड़कियों पर यह प्रक्रिया की गई है. पूर्व नेता याहया जममेह ने 2015 में बिना किसी स्पष्टीकरण के इस प्रथा पर अचानक प्रतिबंध लगा दिया था. लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रवर्तन कमज़ोर रहा है और महिलाओं के प्राइवेट पार्ट को काटना जारी रहा, केवल दो मामले ही मुकदमेबाजी में आए.
यूनिसेफ ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि पिछले आठ वर्षों में विश्व स्तर पर लगभग 30 मिलियन महिलाओं को महिला जननांग कटौती से गुजरना पड़ा है, जिनमें से अधिकांश अफ़्रीका में हैं, लेकिन कुछ एशिया और मध्य पूर्व में भी हैं.
विश्व बैंक के एक अध्ययन के अनुसार 80 से अधिक देशों में इस प्रक्रिया को प्रतिबंधित करने वाले कानून हैं या ऐसे मामलो में मुकदमा चलाने की अनुमति देते हैं, जिसका उल्लेख इस साल की शुरुआत में संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष द्वारा किया गया था. इनमें दक्षिण अफ़्रीका, ईरान, भारत और इथियोपिया शामिल हैं.
UNFPA रिपोर्ट में कहा गया है "कोई भी धार्मिक ग्रंथ महिला जननांग विकृति को बढ़ावा या समर्थन नहीं देता है. इसका कोई लाभ नहीं है. लंबे समय तक, यह प्रथा मूत्र पथ के संक्रमण, मासिक धर्म की समस्याओं, दर्द, यौन संतुष्टि में कमी और प्रसव संबंधी जटिलताओं के साथ-साथ अवसाद, कम आत्मसम्मान और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर का कारण बन सकती है."