
नई दिल्ली: अमेरिका को मिली ताज़ा खुफिया जानकारी से पता चला है कि इज़राइल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने की तैयारी कर रहा है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि ये जानकारी बेहद संवेदनशील है और अगर इज़राइल ऐसा करता है तो इससे पूरे पश्चिम एशिया क्षेत्र में तनाव और भी बढ़ सकता है.
हालांकि अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि इज़राइल ने इस हमले को लेकर अंतिम फैसला ले लिया है या नहीं. लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि पिछले कुछ महीनों में इस हमले की संभावना काफी बढ़ गई है.
क्या है पूरा मामला?
ट्रंप प्रशासन इस वक्त ईरान के साथ एक नया परमाणु समझौता करने की कोशिश में लगा है. लेकिन इज़राइल इस समझौते से संतुष्ट नहीं है और उसे लगता है कि अगर अमेरिका ईरान से "कमजोर" समझौता करता है, तो उसे खुद ही सैन्य कार्रवाई करनी पड़ेगी.
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पहले भी साफ कर चुके हैं कि वे ईरान को परमाणु हथियार विकसित नहीं करने देंगे. अब अमेरिकी एजेंसियों को जो गतिविधियां दिख रही हैं — जैसे इज़राइली सेना की एयर एक्सरसाइज और बमों की मूवमेंट — उससे अंदेशा है कि इज़राइल किसी बड़े कदम की तैयारी कर रहा है.
इज़राइल के पास पूरा दम नहीं, अमेरिका की ज़रूरत
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक इज़राइल अकेले ईरान के गहराई में स्थित परमाणु ठिकानों को पूरी तरह तबाह नहीं कर सकता. इसके लिए उसे अमेरिका की मदद चाहिए होगी, जैसे मिड-एयर रिफ्यूलिंग और भारी बम. लेकिन फिलहाल अमेरिका इस हमले में खुलकर शामिल होने के मूड में नहीं है, जब तक कि ईरान कोई बड़ा उकसावे वाला कदम न उठाए.
BREAKING: CNN reports that Israel is making preparations to strike Iranian nuclear facilities
— The Spectator Index (@spectatorindex) May 20, 2025
ट्रंप प्रशासन की दोहरी चाल
राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान को बातचीत के लिए 60 दिन का समय दिया था, जो अब खत्म हो चुका है. हालांकि अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि अभी उनकी प्राथमिकता कूटनीति ही है, लेकिन समय सीमित है. ट्रंप के करीबी सूत्रों के अनुसार, अगर बातचीत नाकाम रही तो सैन्य विकल्प खुला है.
ईरान की प्रतिक्रिया
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने कहा है कि अमेरिका की शर्तें — जैसे कि यूरेनियम संवर्धन पूरी तरह बंद करना — उन्हें मंजूर नहीं हैं. उन्होंने अमेरिकी मांग को "बड़ी गलती" बताया है और कहा है कि ईरान अपने अधिकारों से पीछे नहीं हटेगा.
फिलहाल तस्वीर साफ नहीं है. अमेरिका और ईरान के बीच बातचीत जारी है, लेकिन उसमें कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. दूसरी ओर, इज़राइल लगातार यह संकेत दे रहा है कि अगर उसे लगा कि अमेरिका का समझौता ईरान को परमाणु शक्ति बनने से नहीं रोक पाएगा, तो वह खुद कार्रवाई करेगा.
अगर ऐसा होता है, तो पश्चिम एशिया में एक और बड़ी जंग की शुरुआत हो सकती है, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है. ऐसे में आने वाले कुछ हफ्ते बेहद अहम हैं.