पर्यटन आधुनिक दौर का आविष्कार नहीं है. प्राचीन रोम के लोग भी यूनान के हेल्थ रिसॉर्टों में घूमने जाया करते थे, मिस्र के पिरामिडों के चक्कर काटते थे या नेपल्स की खाड़ी में पार्टी करते थे.अभिजात वर्ग का एक अमीर रोमन, गायूस अंतोनियस, नेपल्स की खाड़ी में ऊंचाई पर स्थित अपने अद्भुत विला के टैरेस पर लेटा समंदर निहारता है. एक गुलाम उसे शराब और बेहद उम्दा खाना परोस रहा है.
कुछ दिन पहले ही अंतोनियस, रोम की जुलाई की गर्मी से छुटकारा पाकर देहात में अपनी इस शानदार जागीर पर पहुंचे थे. यहां विलासिताओं और सुख-सुविधाओं की कोई कमी नहीं है. रोम साम्राज्य की सेनेट, ग्रीष्मकालीन अवकाश पर है और अंतोनियस जैसे कुलीन व्यक्ति के पास आराम और मस्ती के लिए पूरी फुर्सत है.
दोपहर में उनके कुछ मेहमान आने वाले हैं, जिन्हें गर्मियों का वक्त बिताने के लिए यहां आमंत्रित किया गया है. शाम को उन्हें नेपल्स की खाड़ी के तट पर बेइए के स्पा नगर में थर्मल बाथ का लुत्फ उठाने ले जाया जाएगा. रोमन अभिजात समाज में सेल्फ-केयर छुट्टियां काफी लोकप्रिय हैं.
नेपल्स की खाड़ी, मौजमस्ती का नंबर एक ठिकाना
छुट्टियां बिताने के लिए नेपल्स की खाड़ी, रोम के निवासियों की पसंदीदा जगह हुआ करती थी. अमीर तबका समंदर से लगे और पहाड़ों में बने शानदार घरों में रहने आता था. कवि होरेस ने कहा तो था, "दुनिया की कोई बे (यानी खाड़ी), हमारे इस खूबसूरत बेइए का मुकाबला नहीं कर सकेगी."
सैर-सपाटे की नावें समंदर में यहां से वहां तैरती रहती थीं. शाम को, जैसा कि इतिहासकार प्लीनी द यंगर ने जिक्र किया है, लोग ऑइस्टर की शानदार दावत के लिए जुटते थे. कुछ कम रईस रोमन भी खाड़ी की ओर खिंचे आते थे. वे टिबुर (अब टिवोली के नाम से मशहूर), एनटियम (अब एनजियो) और उस बेइए का दौरा करते थे, जो आज समंदर में डूब चुका है.
आज के लिहाज से ये समंदर किनारे की कोई क्लासिक छुट्टी नहीं थी. लोग तटों पर मस्ती और पानी में छपछप बेशक करते थे, लेकिन उनकी ज्यादा दिलचस्पी थर्मल स्नान की सुकून भरी फुहारों में रहती थी. जिनके पास पर्याप्त पैसा था, उन्होंने सीधे समंदर में ही अपने थर्मल स्नान के लिए नीवें खुदवा दी थीं. यहां वे महासागर की लहरों से घिरे एक सुरक्षित और अभेद्य पूल में तैर पाते थे. रोमन दार्शनिक सेनेका के मुताबिक, रोम के पतन की नींव भी उसी ने रखी.
बेइए न सिर्फ समंदर किनारे का एक रिजॉर्ट था, बल्कि दावत-प्रेमी छुट्टीबाजों की अतिशय मस्तियों का अड्डा भी था. कुछ इस कदर कि सेनेका ने इसे शिकायत के रूप में यूं दर्ज कर दिया थाः "तटों पर लड़खड़ाते-झूमते उन शराबियों को भला मैं क्यों देखूं और क्यों सहूं पाल-नौकाओं (सेलबोट) में चल रही दावतों से फूटते उस शोर-शराबे को?"
उनके समकालीन लैटिन कवि मार्सियल (मारकुस वेलेरियस मारसियालिस) ने भी अपनी एक कटाक्ष भरी सूक्ति में तटीय कस्बे में हर तरफ फैले व्यभिचार को निशाना बनायाः "लाइविना, कितनी साफ और पवित्र हो तुम. बेइए के स्नानघरों में खुद को तरोताजा करती, प्यार की लपटों में घिरी और, अपने पति से जुदा, भाग गया जो एक छैल-छबीले के साथ."
लंबी यात्राएं
जो लोग लंबी यात्राओं के लिए तैयार थे, वे अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित तरीके से विशाल रोमन साम्राज्य के भीतर घूमते रहे. इसके अलावा, हर जगह लैटिन भी बोली जाती थी. रोम की सेनाओं के लिए बनी सड़कों की हालत अच्छी थी और लोग या तो पैदल चलते थे, या बग्घियों से या आरामदेह कुर्सी पर लादकर ले जाए जाते थे. अगर आपकी सेहत अच्छी हो तो एक दिन में आप शायद 30 किलोमीटर पैदल चल सकते थे, बग्घी से 80 और घोड़े पर कुछ और ज्यादा.
रास्ते में होस्टल भी पड़ते थे, जहां खाना मिलता था. कई रोमन, स्थानीय परिवारों की देहाती जागीरों में रात बिताया करते थे. यात्रियों की मेजबानी के लिए परिवारों के बीच एक तथाकथित "हॉस्पिटियम पब्लिकम" (सार्वजनिक सत्कार) समझौता कायम था. समंदर के रास्ते आने वाले लोग, व्यापारिक जहाज में एक तय शुल्क देकर यात्रा कर सकते थे. उस समय यात्री जहाज नहीं हुआ करते थे. बड़ा डर था सीसिक्निस का और समुद्री डाकुओं का आतंक तो रहता ही था.
स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक नक्शे पर जाकर लोग यह गणना कर सकते हैं कि साम्राज्य में एक जगह से दूसरी जगह जाने में कितना समय लगता था. परिवहन का जरिया और वित्तीय संभावनाओं का संकेत भी देना होता है.
‘बर्बरों' के अलावा सबके लिए खुला
मिस्र एक लोकप्रिय ठिकाना था. गीजा के पिरामिड, स्फिंक्स और एलेक्जेंड्रिया का लाइटहाउस देखने के लिए सैलानियों की भीड़ खिंची आती थी. ऐसे भी टूरिस्ट थे, जो ट्रॉय के जरिए होमर के नक्शेकदम पर चलने की आस लिए आते थे, या मशहूर युद्धस्थलों को देखने उमड़ते थे. जैसे, मैराथन नाम का युद्धस्थल जहां 490 ईसापूर्व में यूनानियों ने फारस की सेना को हराया था.
इतिहास के उस दौर में भी शैक्षणिक यात्राएं खूब हुआ करती थीं, जैसे कि नेपल्स और एथेंस में. सिर्फ वे "बर्बर" ही थे, जिन्हें कोई अपनी मर्जी से नहीं घूमने देना चाहता था. और, बर्बर कहलाते थे तमाम गैर-रोमन और गैर-यूनानी लोग.
दूसरी ओर यूनान के प्राचीन मंदिर रोमन पर्यटकों को लुभाते थे. लोकल गाइड, सैलानियों को ओरेकल ऑफ डेल्फी (डेल्फी की आकाशवाणी) या देवताओं के निवास स्थान ओलिंपस के बारे में तमाम जानकारी देते थे. लोगों को यह भी बताया जाता था कि अपनी मातृभूमि के नजारों के बारे में दुनिया की शुरुआती "ट्रैवल गाइडों" में से एक को यूनानी लेखक पाउसानियास (110-180 ईस्वी) ने लिखा था.
प्राचीन रोम में भी प्रचलित थीं यात्रा की निशानियां
स्थानीय लोग अमीर यात्रियों से कमाई की कोशिश में लगे रहते थे. खासकर रोम के रईस यात्रियों को तो कुछ-न-कुछ बेचा ही जाता था. निशानी के तौर पर खरीदने के लिए पर्यटकों के पास बहुत सी चीजें थीं. पिरामिड की छोटी प्रतिमूर्ति से लेकर चांदी की मूर्तियां और एलेक्जेंड्रिया के लाइटहाउस से पेंट किए हुए मिट्टी के मर्तबान तक.
यात्रा-प्रेमी बादशाह हाड्रियान ने तो आगे बढ़कर तिबुर (तिवोली) में अपने आद्रियाना नाम के विला में मशहूर नजारों के मिनिएचर मॉडल ही बनाकर तैयार रख लिए थे.