इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेना प्रमुख (आर्मी चीफ) आसिम मुनीर ने उन सभी अटकलों और अफवाहों पर रोक लगा दी है, जिनमें कहा जा रहा था कि वह राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की जगह ले सकते हैं. उन्होंने इन खबरों को "पूरी तरह से झूठा" बताया है और कहा है कि यह सरकार और एस्टेब्लिशमेंट (हुकूमत) के खिलाफ एक साजिश है.
यह मामला जुलाई में तब शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से फैलने लगी कि राष्ट्रपति जरदारी को अपना पद छोड़ने के लिए कहा जा सकता है और उनकी जगह सेना प्रमुख आसिम मुनीर देश के नए राष्ट्रपति बन सकते हैं. हालांकि, उस समय भी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने इन दावों को खारिज कर दिया था.
सेना प्रमुख ने खुद की पुष्टि
अब यह बात सीधे सेना प्रमुख के हवाले से सामने आई है. जंग मीडिया ग्रुप के एक जाने-माने पत्रकार सुहैल वर्रैच ने अपने एक लेख में यह दावा किया है. उन्होंने बताया कि हाल ही में ब्रुसेल्स में उनकी मुलाकात जनरल मुनीर से हुई, जहाँ सेना प्रमुख ने खुद इस मुद्दे पर खुलकर बात की.
वर्रैच के मुताबिक, जनरल मुनीर ने कहा, "राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को बदलने की अफवाहें पूरी तरह से झूठी हैं. इन अफवाहों के पीछे वो लोग हैं जो सरकार और अधिकारियों दोनों का विरोध करते हैं और देश में राजनीतिक अराजकता फैलाना चाहते हैं."
सेना प्रमुख ने अपनी महत्वाकांक्षाओं के बारे में भी स्पष्ट किया. उन्होंने कहा, "अल्लाह ने मुझे देश का रक्षक बनाया है. मुझे इस पद के अलावा किसी और पद की इच्छा नहीं है."
राजनीतिक सुलह पर क्या बोले?
जब उनसे देश में राजनीतिक सुलह के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह तभी संभव है जब "सच्चे दिल से माफी" मांगी जाए. हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की ओर था.
विदेश नीति और ट्रंप पर भी की बात
इस बातचीत में जनरल मुनीर ने विदेश नीति पर भी अपनी राय रखी. उन्होंने अमेरिका और चीन के साथ संबंधों पर संतुलन बनाए रखने का भरोसा जताया और कहा, "हम एक दोस्त के लिए दूसरे दोस्त की कुर्बानी नहीं देंगे."
दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शांति प्रयासों को 'वास्तविक' बताया. उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पाकिस्तान ने ही सबसे पहले ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की पहल की थी, जिसके बाद दूसरे देश भी आगे आए.













QuickLY