इस्लामाबाद, 14 मार्च: पाकिस्तान ने भारत के नए नागरिकता (संशोधन) कानून को ‘‘भेदभावपूर्ण’’ करार देते हुए बृहस्पतिवार को दावा किया कि यह लोगों के बीच उनकी आस्था के आधार पर भेदभाव करता है.
सीएए के कार्यान्वयन पर टिप्पणी करते हुए पाकिस्तान विदेश कार्यालय की प्रवक्ता मुमताज जहरा बलूच ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘जाहिर तौर पर, कानून और प्रासंगिक नियम भेदभावपूर्ण प्रकृति के हैं क्योंकि ये लोगों के बीच उनकी आस्था के आधार पर भेदभाव करते हैं.’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘ये नियम और कानून गलत धारणा पर आधारित हैं कि क्षेत्र के मुस्लिम देशों में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जा रहा है और भारत अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल है.’’
बलूच ने कहा कि पाकिस्तान की संसद ने 16 दिसंबर, 2019 को कानून की आलोचना करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें इसे समानता और गैर-भेदभाव के अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के खिलाफ बताया.
भारत सरकार ने सोमवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 लागू किया, जिससे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया.
सरकार ने यह भी कहा है कि सीएए पर भारतीय मुसलमानों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस कानून का भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है जिनके पास अपने समकक्ष हिंदू भारतीय नागरिकों के समान अधिकार हैं.
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