इमरान खान कैसे बनाएंगे ‘नया पाकिस्तान’, ह्यूमन राइट्स की रिपोर्ट ने दुनिया के सामने खोली पाकिस्तानियों की पोल
शिक्षा को लेकर पाकिस्तान की खुली पोल (File Photo)

इस्लामाबाद: पड़ोसी मुल्क के प्रधानमंत्री इमरान खान का ‘नया पाकिस्तान’ बनानें का सपना अधूरा ही रहने वाला है. भीषण आर्थिक तंगी का सामना कर रहे पाकिस्तानियों की मानसिकता ही उन्हें आगे नहीं बढ़ने दे रही है. रुढ़िवादी पाकिस्तानी समाज की ऐसी ही एक सच्चाई का खुलसा अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच की ताजा रिपोर्ट में हुआ है.

ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में एक करोड़ से ज्यादा लड़कियां स्कूल नहीं जा पा रही हैं. इसके लिए पाकिस्तान की सरकार और समाज को जिम्मेदार बताया गया है. दरअसल यह रिपोर्ट पाकिस्तान की मौजूदा स्कूली शिक्षा को लेकर तैयार किया गया है. इस रिपोर्ट ने पाकिस्तान सरकार की पोल दुनिया के सामने खोल कर रख दी है.

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रिपोर्ट के मुताबिक 20.7 करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान में लगभग आठ करोड़ बच्चे स्कूल जाने की उम्र वाले हैं. लेकिन इसमें से 2.25 करोड़ बच्चों के लिए स्कूल ही उपलब्ध नहीं हैं. जिसमें से अधिकार संख्या लड़कियों की हैं. इसका प्रमुख कारण स्कूलों की कमी तो है ही इसके पाकिस्तानियों की लड़कियों की शिक्षा के प्रति सोच भी है.

111 पेज की रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर पाकिस्तान की सरकार बच्चों की शिक्षा पर ज्यादा पैसे खर्च करे तो हालात में सुधार होंगे. दरअसल पाकिस्तान ने 2017 में अपनी जीडीपी का 2.8 प्रतिशत से भी कम का बजट शिक्षा के लिए दिया जबकि अंतराष्ट्रीय मानकों के अनुसार किसी भी देश को अपनी जीडीपी का चार से छह प्रतिशत खर्च शिक्षा पर करना चाहिए.

पाकिस्तान में समाज की सोच के अलावा आतंकी भी लड़कियों के शिक्षा लेने में बाधा बनते हैं. जिसका सबसे सजीव उदाहरण शांति का नोबेल जीतनेवाली पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई है. जिनपर लड़कियों की शिक्षा की पैरवी करने की वजह से 2012 में आतंकियों ने जानलेवा हमला किया था. आतंकियों ने मलाला के सिर में गोली मारी थी.