अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हाल ही में एक बयान दिया था कि इजरायल को ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाने से बचना चाहिए, खासकर मंगलवार को हुए बड़े पैमाने पर बैलिस्टिक मिसाइल हमले के जवाब में. हालांकि, इस बयान पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने असहमति जताई और कहा कि यह सही निर्णय नहीं है. डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि इजरायल को पहले ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करना चाहिए और अन्य मुद्दों की चिंता बाद में करनी चाहिए.
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी राज्य विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने पुष्टि की है कि इजरायल ने बाइडेन प्रशासन को यह आश्वासन नहीं दिया है कि वह ईरान के परमाणु ठिकानों को निशाना नहीं बनाएगा. इस रिपोर्ट ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में तनाव और बढ़ा दिया है.
Following a Statement recently by U.S. President Joe Biden, that Israel should avoid Targeting the Iranian Nuclear Program as Retaliation for Tuesday’s Large-Scale Ballistic Missile Attack; Former President Donald J. Trump said “That’s not the Right Answer” and that Israel should… pic.twitter.com/tsnjLTeXsN
— OSINTdefender (@sentdefender) October 5, 2024
इसी बीच, अल-अरबिया ने रिपोर्ट किया है कि इजरायल ने हिज़बुल्लाह प्रमुख बनने की संभावना वाले हाशिम सफीद्दीन की हत्या की पुष्टि कर दी है, जो हसन नसरल्लाह का उत्तराधिकारी हो सकता था. इस घटना में सफीद्दीन के साथ उसके सभी सहयोगियों को भी मार दिया गया है, जो क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ा सकता है.
BREAKING: CNN reports a top US State Department official saying that Israel 'has not given assurances to the Biden administration that targeting Iran’s nuclear facilities is off the table'
— The Spectator Index (@spectatorindex) October 4, 2024
संकट का बढ़ता खतरा
इस बयानबाजी के चलते अमेरिका, इजरायल और ईरान के बीच तनाव के और बढ़ने की संभावना है. जहां बाइडेन प्रशासन संघर्ष को कम करने की कोशिश कर रहा है, वहीं ट्रंप के आक्रामक रुख ने अमेरिकी राजनीति में एक विभाजनकारी दृष्टिकोण को जन्म दिया है. ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय पहले ही चिंतित है, और इस नई स्थिति ने इसे और जटिल बना दिया है.
क्षेत्रीय स्थिरता पर असर
हाशिम सफीद्दीन की हत्या और हिज़बुल्लाह नेतृत्व में बदलाव संभावित रूप से लेबनान और पूरे मध्य पूर्व में अस्थिरता का कारण बन सकते हैं. इजरायल और हिज़बुल्लाह के बीच बढ़ते तनाव के बीच, यह हत्या एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है.