बीजिंग: दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका (US) फिर से कोरोना वायरस (Coronavirus) के चक्र में फंस गया है. हाल यह है कि एक दिन में कोरोना के पांच लाख से ज्यादा मरीज सामने आए हैं. हमने ट्रंप (Trump) प्रशासन के दौरान भी महामारी की स्थिति को नियंत्रण से बाहर होते देखा था, क्योंकि तब अमेरिकी नेता बार-बार चीन (China) पर ही कोरोना फैलाने का आरोप लगाते थे. इस बीच चुनाव हुए और ट्रंप चुनाव हार गए और बाइडेन सत्ता में आए. हालांकि जो बाइडेन ने दावा किया था कि वे वैज्ञानिक आधार पर कोरोना संकट से निपटेंगे, आम लोगों के सामने आ रही मुसीबतों को दूर करेंगे. Coronavirus Scare In US: अमेरिका में फिर तबाही मचा रहा है कोरोना, 75 लाख से अधिक बच्चे मिले पॉजिटिव
लेकिन वे ऐसा करने में पूरी तरह विफल रहे हैं. बता दें कि अमेरिका में कोरोना के मामलों का विस्फोट रुकने का नाम नहीं ले रहा है और आम लोगों को मुफ्त में रैपिड टेस्टिंग किट्स नहीं मिल पा रहे हैं. लोग इसके लिए विभिन्न सेंटरों में जा रहे हैं, जहां अव्यवस्था का माहौल है.
गौरतलब है कि बाइडेन ने पूर्व में देश के नागरिकों को मुफ्त में पचास करोड़ ऐसे होम टेस्टिंग किट्स मुहैया कराने का वादा किया था. इस बीच लगातार खबरें आ रही हैं कि अमेरिका में वायरस के नये वेरियंट ओमिक्रॉन व डेल्टा के मामलों में काफी बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन लोग कोरोना संबंधी टेस्ट करवाने में असफल हो रहे हैं. क्रिसमस से पहले बाइडेन ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए अपनी विफलता स्वीकार की और कहा कि जिस तेजी से टेस्ट होने चाहिए थे, नहीं हुए.
ध्यान रहे कि अमेरिका में स्वास्थ्य सुविधाएं बेहद महंगी हैं, ऐसे में बड़ी संख्या में नागरिकों के लिए अपना इलाज कराना मुश्किल होता है. बताया जा रहा है कि आजकल विभिन्न सेंटरों के बाहर लोग अपना कोरोना टेस्ट करवाने के लिए लाइन में लगे हुए हैं, घंटों इंतजार के बाद भी उनका नंबर नहीं आ रहा है. जिससे अमेरिकी नागरिकों में बाइडेन सरकार व स्वास्थ्य एजेंसियों के प्रति काफी गुस्सा है. प्रशासन के आश्वासन के बावजूद स्थिति सुधरने के आसार नहीं लग रहे हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में कोरोना संक्रमितों की तादाद लगातार बढ़ रही है, लेकिन स्वास्थ्य उपकरणों का अभाव है. ऐसे में अगले महीने तक अधिकांश लोगों को ऐसे ही इंतजार करना होगा. भारतीय चैनल विओन ने इस बारे में रिपोर्ट पेश कर अमेरिका की असली स्थिति दिखाने की कोशिश की है.
एक ओर अमेरिका जैसे विकसित देश में ऐसी खराब स्थिति है, जबकि चीन के किसी इलाके में एक मामला आने पर भी वहां रहने वाले सभी लोगों का टेस्ट किया जाता है. पेइचिंग, शांगहाई, वूहान, शीआन, व लानचो आदि शहरों का उदाहरण हमारे सामने है, जब सरकार के निर्देश पर स्थानीय स्वास्थ्य विभागों ने पूरे शहर के लाखों लोगों का कुछ ही दिन में परीक्षण करने में सफलता पायी. जो भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया गया, उसे दूसरों से अलग कर दिया गया. इस तरह चीन ने सदी की इस सबसे बड़ी महामारी पर बहुत हद तक कामयाबी पायी है। लेकिन अमेरिका जैसे देश में, जहां लगभग सभी सुविधाएं मौजूद हैं, आम नागरिकों को ये सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं.
इसके अलावा वैक्सीन के असमान वितरण की बात करें तो उसमें भी अमेरिका जिम्मेदार है, कई पश्चिमी देशों के पास वैक्सीन बर्बाद हो रही है, लेकिन वे जरूरतमंद देशों को नहीं देना चाहते हैं. हाल ही में कुछ विकसित देशों द्वारा अफ्रीकी देशों में एक्सपायर्ड वैक्सीन भेजे जाने के मामले सामने आए हैं, जिससे वहां की सरकारें व नागरिक गुस्से में हैं.