ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने फलस्तीन को दी राज्य की मान्यता
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

लंदन, टोरंटो और कैनबरा से रविवार को एक बड़ा राजनयिक फैसला आया, जब ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया ने फलस्तीनी राज्य को आधिकारिक तौर पर मान्यता दे दी. यह फैसला दो राज्य समाधान को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है.यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब गाजा में लगभग दो साल से संघर्ष चल रहा है. यह संघर्ष हमास के अक्टूबर 2023 के हमले के बाद शुरू हुआ था, जिसमें 1,200 लोग मारे गए थे और 251 लोगों को बंधक बनाया गया था. इसके जवाब में, इस्राएल ने गाजा में जो अभियान चलाया, उसमें अब तक 65,000 से ज्यादा फलस्तीनी लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश आम नागरिक हैं. इस्राएली हमलों ने गाजा के अधिकांश हिस्सों को तबाह कर दिया है, जिससे बड़े पैमाने पर भुखमरी और विस्थापन की स्थिति पैदा हो गई है.

ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का फैसला

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने फलस्तीनी राज्य को आधिकारिक तौर पर मान्यता देते हुए एक्स पर लिखा, "आज, फलस्तीनियों और इस्राएल के लिए शांति और दो-राज्य समाधान की उम्मीद को फिर से जगाने के लिए, यूनाइटेड किंगडम औपचारिक रूप से फलस्तीन राज्य को मान्यता देता है." ब्रिटेन के इस फैसले का एक खास प्रतीकात्मक महत्व भी है, क्योंकि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में इस्राएल के गठन में उसकी बड़ी भूमिका थी.

ब्रिटेन ने अपनी दशकों पुरानी नीति को बदलते हुए फलस्तीन को एक राज्य के रूप में मान्यता दी है. इससे पहले, ब्रिटेन की सरकारें मानती थीं कि फलस्तीन को तभी मान्यता दी जाएगी जब इस्राएल और फलस्तीन के बीच एक शांति समझौता हो जाए.

यह बड़ा बदलाव प्रधानमंत्री स्टार्मर के नेतृत्व में हुआ, जिन्होंने जुलाई में इस्राएल को एक अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि अगर इस्राएल गाजा में मौजूदा स्थिति को समाप्त करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता है, तो ब्रिटेन, संयुक्त राष्ट्र महासभा में फलस्तीन को मान्यता दे देगा. इस फैसले के बाद ब्रिटेन भी उन 140 से ज्यादा संयुक्त राष्ट्र सदस्यों में शामिल हो गया है जिन्होंने फलस्तीनी राज्य को मान्यता दी है.

कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भी ऐसा ही कदम उठाते हुए एक्स पर लिखा, "कनाडा फलस्तीन राज्य को मान्यता देता है और फलस्तीन और इस्राएल दोनों के लिए एक शांतिपूर्ण भविष्य के निर्माण में अपनी साझेदारी की पेशकश करता है."

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीसी ने भी घोषणा की है कि उनका देश औपचारिक रूप से एक स्वतंत्र और संप्रभु फलस्तीनी राज्य को मान्यता देता है. अल्बानीसी ने एक्स पर शेयर किए गए पोस्ट में इसकी जानकारी दी. अल्बानीसी के अनुसार, यह निर्णय कनाडा और यूनाइटेड किंगडम के साथ एक समन्वित अंतरराष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा है, ताकि दो-राज्य समाधान के लिए एक नई गति बनाई जा सके.

इस्राएल और फलस्तीन की प्रतिक्रिया

इस फैसले पर इस्राएल की कड़ी प्रतिक्रिया आयी है. इस्राएली विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह मान्यता "जिहादी हमास के लिए एक इनाम के अलावा कुछ नहीं है." मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट किया कि हमास के नेता खुद मानते हैं कि यह मान्यता 7 अक्टूबर के नरसंहार का सीधा फल है.

इस्राएल के धुर-दक्षिणपंथी राजनेताओं ने अपनी निंदा में और भी कठोर रुख अपनाया है और "काउंटरमेजर्स" का संकल्प लिया है. राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री ने अगली कैबिनेट बैठक में इस्राएली कब्जे वाले वेस्ट बैंक को अपने अधीन करने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने का निर्णय किया है.

यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया द्वारा फलस्तीनी राज्य को मान्यता देने की घोषणा के बाद, वेस्ट बैंक में स्थित फलस्तीनी विदेश मंत्रालय और प्रवासी विभाग ने इन देशों के प्रति आभार जताया है. फलस्तीनी मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि ये साहसिक निर्णय अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय वैधता के प्रस्तावों के अनुरूप हैं. फलस्तीन इसे अपने संप्रभुता के अधिकार की एक महत्वपूर्ण पुष्टि के रूप में देख रहा है.

वर्तमान में, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया द्वारा दी गई यह मान्यता, एक ऐसे राज्य की बड़े पैमाने पर प्रतीकात्मक स्वीकृति है, जिसके पास अभी भी संप्रभु क्षेत्र नहीं है. इस फैसले के बाद, पुर्तगाल ने भी रविवार शाम को मान्यता देने की योजना बनाई है. उम्मीद है कि फ्रांस और बेल्जियम सहित अन्य पश्चिमी राष्ट्र भी अगले हफ्ते न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में होने वाली उच्च स्तरीय बहस के दौरान ऐसा कदम उठा सकते हैं.