काबुल: अफगानिस्तान (Afghanistan) की पंजशीर घाटी (Panjshir Valley) में ताजा जोरदार लड़ाई की खबर है, जो अभी तालिबान (Taliban) अपने कब्जे में होने का दावा कर रहा है. खबर है कि अज्ञात सैन्य विमानों ने पंजशीर में तालिबान के कई ठिकानों पर हमले किए है. अपुष्ट खबरों में कहा गया है कि बीती रात हुई में बमबारी कई तालिबानी मारे गए है. जबकि रेसिस्टेंस फोर्स (तालिबान विरोधी लड़ाके) अभी भी पंजशीर के पहाड़ों में मोर्चा संभाले हुए है. तालिबान विरोधी लड़ाकों का नेतृत्व पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह एवं अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद कर रहे हैं. Afghanistan: पंजशीर में तालिबान और प्रतिरोधी बल के बीच भीषण लड़ाई जारी, पढ़ें अफगानिस्तान संकट की लेटेस्ट अपडेट
माना जा रहा है कि पंजशीर में तालिबान पर हुए इस ताजा हमले के पीछे अफगान वायुसेना के वो पायलट हो सकते हैं जो 15 अगस्त को तालिबान के कब्जे के बाद देश छोड़कर ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान चले गए थे. हालांकि अभी तक इस हवाई हमले की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है. लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि पंजशीर घाटी में रात को कई फाइटर जेट उड़ते दिखाई दिए थे. लेकिन इससे एक बात स्पष्ट हो गई है कि नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स ने अभी भी पंजशीर में हार नहीं मानी है और कई स्थानों पर तालिबानी लड़कों का मुंहतोड़ जवाब दे रही है.
एक दिन पहले ही तालिबान ने अपने विरोधियों के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान के आखिरी प्रांत पंजशीर को नियंत्रण में लेने का दावा किया था. चश्मदीदों ने बताया कि हजारों की संख्या में तालिबान लड़ाकों ने पूरी रात कार्रवाई कर पंजशीर के आठ जिलों पर कब्जा कर लिया.
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने भी सोमवार को एक बयान जारी कर पुष्टि की कि पंजशीर अब तालिबान लड़ाकों के नियंत्रण में है. उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘हमने बातचीत के जरिये समस्या का समाधान करने की पूरी कोशिश की लेकिन उन्होंने बातचीत करने से इनकार कर दिया जिसके बाद हमने लड़ाकों को भेजा.’’ तालिबान ने पंजशीर के निवासियों को आश्वासन दिया कि वे सुरक्षित रहेंगे, जबकि तालिबान के वहां पहुंचने से पहले कई परिवार पहाड़ों में भाग गए.
पंजशीर प्रांत अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात का विरोध करने वाला एकमात्र विद्रोही प्रांत है. विशेषज्ञों ने लंबे समय तक तालिबान के खिलाफ मोर्चा कायम रहने पर आशंका जताई थी, जिसे 20 साल तक युद्धग्रस्त देश में अमेरिका की मौजूदगी के आखिरी दिनों में बहुत कम प्रतिरोध का सामना करना पड़ा.
विशेषज्ञों का मानना है कि पंजशीर में तालिबान लड़ाकों के भौगोलिक स्तर पर बढ़त बनाने की बहुत कम संभावना है. विशाल हिंदूकुश पहाड़ों में स्थित, पंजशीर घाटी में प्रवेश का एक ही संकीर्ण रास्ता है. स्थानीय लड़ाके 1980 के दशक में सोवियत को यहां से बाहर करने में सफल हुए थे और दशक बाद संक्षिप्त समय के लिए मसूद के नेतृत्व में लड़ाकों ने तालिबान को भी रोक दिया था.
मसूद के बेटे अहमद ने रविवार को एक बयान में हाल के दिनों में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने का आह्वान किया था. उन्होंने कहा था कि उनकी सेना अपने हथियार डालने को तैयार है, अगर तालिबान अपने हमले रोकने को सहमत हो जाए.
अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति सालेह की ओर से अभी तक कोई बयान जारी नहीं किया गया है. सालेह ने 15 अगस्त को तालिबान के राजधानी के द्वार पर पहुंचने पर राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भाग जाने के बाद खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया था. सालेह और मसूद अहमद के ठिकाने की सोमवार को तत्काल जानकारी नहीं मिल सकी.
हाल के दिनों में पंजशीर घाटी में तालिबान और अहमद मसूद के नेतृत्व वाले नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट (एनआरएफ) के लड़ाकों के बीच संघर्ष बढ़ गया था. तालिबान विरोधी गुट के प्रवक्ता फहीम दशती की भी रविवार को संघर्ष में मौत हो गई थी, जबकि एनआरएफ के कई शीर्ष कमांडर भी मारे गए थे.