नई दिल्ली: ब्रिटेन की पुलिस ने बुधवार को मजीद फ्रीमैन को "आतंकवाद को प्रोत्साहित करने और प्रतिबंधित संगठन का समर्थन करने" के आरोप में गिरफ्तार किया है. यह मामला 2022 के लेस्टर दंगों के दौरान गलत जानकारी फैलाने और तनाव बढ़ाने में उनकी "महत्वपूर्ण भूमिका" से जुड़ा है.लेस्टरशायर पुलिस ने कहा- "मजीद नोव्सारका, जिसे मजीद फ्रीमैन के रूप में भी जाना जाता है, 36 वर्षीय, लेस्टर के सेसिल रोड के निवासी हैं, पर आतंकवाद को प्रोत्साहित करने और प्रतिबंधित संगठन का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है."
आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया गया है और वह 24 जुलाई को वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश होगा. फ्रीमैन को कट्टरपंथी इस्लामी" के रूप में वर्णित किया गया है. उसने लेस्टर हिंसा के दौरान बार-बार खतरनाक झूठ और अप्रमाणित दावे फैलाए.
सोशल मीडिया पर फ्रीमैन के पोस्ट "लेस्टर के हिंदुओं को 'आरएसएस हिंदुत्वा गुंडों' के रूप में ब्रांड करने और गलत जानकारी फैलाते रहे." उनके झूठे दावों को फिर पत्रकारों द्वारा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया और हिंदुओं के खिलाफ घटनाओं को पक्षपाती ढंग से दिखाने के लिए उपयोग किया गया.
फ्रीमैन को मुख्य उकसाने वाला माना जा रहा था, जिसने हानिकारक गलत जानकारी और झूठी कहानियाँ फैलाईं, जिससे लेस्टर में तनाव बढ़ा और दंगे हुए.
BREAKING: Majid Freeman, anti-genocide activist has been arrested by Leicester police.
Despite over 180,000 Palestinian deaths, the repression and demonisation of Palestinian protesters continue.
Today, as first port of call the Starmer-led government has arrested our brother… pic.twitter.com/QwfypzLCDF
— CAGE International (@CAGEintl) July 9, 2024
2022 का लेस्टर दंगा इंग्लैंड के लेस्टर शहर में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हुए संघर्षों की एक श्रृंखला थी. यह दंगा अगस्त-सितंबर 2022 में लगभग 300 पुरुषों के एक मार्च के बाद शुरू हुआ, जिनमें से कुछ के चेहरे ढके हुए थे, और वे हिंदू राष्ट्रवाद से गलत रूप से जुड़े नारों का नारा लगा रहे थे. इससे मुस्लिम पुरुषों द्वारा प्रति-प्रदर्शन शुरू हो गए, जिससे शहर के विभिन्न क्षेत्रों में दोनों समूहों के बीच तनाव और हिंसा बढ़ गई.
दंगे सोशल मीडिया प्रचार, गलत जानकारी और नफ़रत प्रचार से पहले शुरू हुए थे. बाद में स्वतंत्र जांचों में पाया गया कि हिंदू धार्मिक स्थलों को अपवित्र किया गया था और हिंदू पुरुषों को ख़ास तौर पर भीड़ द्वारा निशाना बनाया गया था.
यह मामला ब्रिटेन में धार्मिक तनाव और सोशल मीडिया द्वारा गलत जानकारी फैलाने के खतरे को उजागर करता है. समाज को इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए एकजुट होकर काम करने की ज़रूरत है.