अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने आज मंगल पर जीवन की तलाश करने के लिए अपना मार्स रोवर (Mars Rover) भेजा है. इस अंतरिक्ष मिशन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पहली बार मंगल ग्रह पर रोवर के साथ ड्रोन हेलिकॉप्टर (Drone Helicopter) भेजा गया है. जो हवा में उड़कर जानकारियां व नमूने एकत्र करेगा.
प्रक्षेपण से कुछ देर पहले नासा के प्रशासक जिम ब्रिडेन्स्टीन (Jim Bridenstine) ने कहा “हमने इस रोबोट (रोवर) का नाम परसेवेरेन्स किसी कारण से रखा है. क्योंकि मंगल पर जाना बहुत कठिन है.” ब्रिडेन्स्टीन ने कहा, “यह हमेशा कठिन रहा है. यह कभी सरल नहीं रहा. महामारी के बीच यह और भी कठिन कार्य था.”
- नासा ने अपनी इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत ‘परसेवेरेन्स’ नामक रोवर शक्तिशाली एटलस-5 राकेट के जरिए लाल ग्रह की ओर भेजा है.
- नासा ने कार के आकार का रोवर बनाया है जो कैमरा, माइक्रोफोन, ड्रिल और लेजर से लैश है. रोवर में 25 कैमरे और दो माइक्रोफोन लगे हैं.
- अंग्रेजी शब्द ‘परसेवेरेंस’ का अर्थ है दृढ़ता या संकल्पित होकर किसी कार्य को करना. परसेवरेंस जेजेरो क्रेटर पर जाकर जीवन के प्रमाण तलाश करेगा.
- प्लूटोनियम की शक्ति से संचालित, छह पहियों वाला रोवर मंगल की सतह पर छेद कर चट्टानों के सूक्ष्म नमूने एकत्र करेगा जिन्हें संभवतः 2031 में धरती पर लाया जाएगा.
- रोवर की कुल लागत आठ अरब अमेरिकी डॉलर है.
- इस अभियान से मंगल पर जीवन के प्रमाण खोजने के अलावा लाल ग्रह के बारे में बहुत सी जानकारी प्राप्त होगी जिससे 2030 के दशक तक मानव अभियान के लिए मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है.
- विश्वभर से मंगल पर जाने वाले आधे से अधिक अभियान में यान या तो जल गए हैं या टकरा कर बर्बाद हो गए. अमेरिका अकेला देश है जिसने मंगल पर एकदम सुरक्षित तरीके से अंतरिक्ष यान उतारने में सफलता पाई है.
- इस बार भेजा गया रोवर अमेरिका का नौवां अभियान है और नासा को उम्मीद है कि वह सुरक्षित उतर जाएगा. यदि सब कुछ ठीक रहा तो रोवर मंगल पर 18 फरवरी 2021 को उतरेगा.
- माना जाता है कि इस स्थान की चट्टानों पर सूक्ष्म जीवों के अवशेष हैं और वहां तीन अरब साल पहले एक झील थी.
- रोवर, टाइटेनियम के ट्यूब में चट्टान के 15 ग्राम नमूने एकत्र करेगा. वह एक नन्हा हेलीकाप्टर भी छोड़ेगा जो किसी दूसरे ग्रह पर उड़ान भरने का पहला प्रयास होगा.
उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह ही चीन और संयुक्त अरब अमीरात ने भी लाल ग्रह पर अपने रोवर भेजे हैं. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि तीनों देशों के रोवर सात महीने में 48 करोड़ किलोमीटर के सफर के बाद फरवरी 2021 तक मंगल ग्रह पर लैंड करेंगे. (एजेंसी इनपुट के साथ)













QuickLY