भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अंतरिक्ष में मंगलवार को फिर बड़ी उपलब्धि हासिल की. इसरो ने आज मंगलवार सुबह चंद्रयान- 2 (Chandrayaan-2) को चांद की पहली कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया है. इसरो वैज्ञानिकों ने सुबह 8.30 से 9.30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को चांद की कक्षा LBN#1 में प्रवेश कराया. चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का प्रवेश कराना इसरो वैज्ञानिकों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था. लेकिन, हमारे वैज्ञानिकों ने इसे बेहद कुशलता और सटीकता के साथ पूरा किया. इस मिशन में सफलता के बाद अब चंद्रयान-2, 118 किमी की एपोजी (चांद से कम दूरी) और 18078 किमी की पेरीजी (चांद से ज्यादा दूरी) वाली अंडाकार कक्षा में अगले 24 घंटे तक चक्कर लगाएगा. इस दौरान चंद्रयान की गति को 10.98 किमी प्रति सेकंड से घटाकर करीब 1.98 किमी प्रति सेकंड किया गया.
चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश के लिए चंद्रयान-2 की गति में 90 फीसदी की कमी इसलिए की गई है ताकि वह चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर चांद से न टकरा जाए. इसरो के अनुसार अब 7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा. चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली के जरिए प्रक्षेपित किया गया था. इससे पहले 14 अगस्त को चंद्रयान-2 को ट्रांस लूनर ऑर्बिट में डाला गया था.
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यहां देखें वीडियो-
चांद की कक्षा में स्थापित हुआ चंद्रयान- 2-
ISRO: Lunar Orbit Insertion of #Chandrayaan2 maneuver was completed successfully today at 0902 hrs IST. (file pic) pic.twitter.com/cEZSoMk4uL
— ANI (@ANI) August 20, 2019
बेहद चुनौतीपूर्ण था यह मिशन
आज का लक्ष्य मिशन चंद्रयान 2 के लिए सबसे मुश्किल था क्योंकि अगर सेटेलाइट चंद्रमा पर उच्च गति वाले वेग से पहुंचता, तो वह उसे उछाल देगा और ऐसे में वह गहरे अंतरिक्ष में खो जाता. लेकिन अगर वह धीमी गति से पहुंचता है तो चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) को खींच लेगा और वह सतह पर गिर सकता है.
11 बजे प्रेस को संबोधित करेंगे के सिवन
इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि इसरो के प्रमुख के सिवन सुबह 11 बजे प्रेस को संबोधित करेंगे. यह संबोधन चंद्रयान 2 के चांद की कक्षा में प्रवेश को लेकर होगा. चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद 31 अगस्त तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाता रहेगा. इस दौरान एक बार फिर कक्षा में बदलाव किया जाएगा. चंद्रयान-2 को चांद की सबसे करीबी कक्षा तक पहुंचाने के लिए चार बार कक्षा बदली जाएगी.
भारत का मिशन मून
चंद्रयान-2 लैंडर 'विक्रम' और रोवर 'प्रज्ञान' तो चांद की सतह पर उतरकर प्रयोग करेंगे. लेकिन, ऑर्बिटर सालभर चांद का चक्कर लगाते हुए रिसर्च करेगा. इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार चांद की कक्षा में सारे बदलाव करने के बाद ऑर्बिटर में इतना ईंधन बच जाएगा कि वह दो साल तक काम कर सकता है. लेकिन यह सब 7 सितंबर के बाद तय होगा. इसरो ने कहा कि सात सितंबर को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले लैंडर संबंधी दो कक्षीय प्रक्रियाओं को अंजाम दिया जाएगा.
बीते 22 जुलाई को प्रक्षेपणयान जीएसएलवी मार्क।।।-एम 1 के जरिए प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-2 ने गत 14 अगस्त को पृथ्वी की कक्षा से निकलकर चंद्र पथ पर आगे बढ़ना शुरू किया था. बेंगलूरू के नजदीक ब्याललू स्थित डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के एंटीना की मदद से बेंगलूरू स्थित इसरो, टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क के मिशन ऑपरेशंस कांप्लेक्स से यान की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है. इसरो ने 14 अगस्त को कहा था कि चंद्रयान-2 की सभी प्रणालियां सामान्य ढंग से काम कर रही हैं.