भारत समेत दुनिया के कई देशों की कंपनियां 5जी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं. चीन भले ही इसमें दुनिया से एक कदम आगे है, लेकिन दुनिया को यह पता है कि 5जी महज हाईस्पीड ब्रॉडबैंड नहीं है, बल्कि एक डिजिटल क्रांति है. इस क्रांति के आने के पहले ही जिस तरह से चीन के खिलाफ कई देशों में अविश्वास पैदा हुआ है, उससे यह साफ है कि आने वाले समय में भारत को फायदा मिल सकता है. चीन के खिलाफ अविश्वास का कारण वहां की हुआवे कंपनी है, जिसका संचालन पीएलए के हाथ में है.
हुआवे जैसी कंपनियां किस तरह के नुकसान पहुंचा सकती हैं इस पर विदेशी मामलों के विशेषज्ञ़ प्रो. हर्ष पंत ने प्रसार भारती से बातचीत में कहा कि यह इसमें कोई शक नहीं कि 5जी केवल एक ब्रॉडबैंड टेक्नोलॉजी नहीं है, यह एक बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी है जो इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन 4.4 की नीव रखेगी. जो औद्योगिक क्रांति आ रही है, उसमें रोबॉटिक्स, बायोटेक बेस्ड टेक्नोलॉजी, आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस आदि की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. जो एक ईको सिस्टम बन रहा है, उसमें 5जी टेक्नोलॉजी अभिन्न होगा. और इस ईकोसिस्टम में चीन की मदद लेना सही नहीं है.
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उन्होंने कहा कि चीन नई टेक्नोलॉजी का ईकोसिस्टम तैयार कर रहा है, वो चाहता है कि सभी देश उस ईकोसिस्टम का भाग बनें. साथ ही वो अंतर्राष्ट्रीय कानून, ट्रीटी आदि को मानता नहीं है, और उसके बाद वहां से वो कोशिश कर रहा है कि वो दूसरे देशों में घुस जाए, और न केवल अपने हितों को साधे बल्कि वहां की राजनीति और नीतियों में हस्तक्षेप करे. ऐसे में भारत ने जिस तरह से 59 ऐप पर प्रतिबंध लगाने का कदम उठाया है, वो बहुत अहम माना जा रहा है. भारत के साथ अब कई देश चीन के खिलाफ खड़े हो रहे हैं.
भारत को हो सकता है फायदा
पूर्व वरिष्ठ राजनयिक प्रभु दयाल मानते हैं कि कई चीनी कंपनियां चीनी सरकार के लिए जासूसी करती हैं और इसीलिए भारत ने 59 चीनी ऐप पर बैन लगाया. चीन इन कंपनियों के माध्यम से साइबर वॉर फेयर भी करता है. उन्होंने आगे कहा कि जब ऑस्ट्रेलिया ने जब यह मांग की कि चीन में कोरोना वायरस कैसे फैला इसकी जांच होनी चाहिए तो चीन ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ साइबर अटैक लॉन्च कर दिया. यही कारण है कि आज ऑस्ट्रेलिया में हर व्यक्ति चीन के खिलाफ खड़ा है. हालांकि ऐसा ही माहौल भारत में भी बन रहा है. हालांकि ऐसे हमालों में कई कंपनियां चीनी सरकार की पूरी सहायता करती हैं, जिनमें हुआवे टॉप पर है.
प्रभु दयाल के अनुसार अमेरिका ने हुआवे पर पाबंदी लगायी. ब्रिटेन ने बहुत ज्यादा पाबंदियां लगायीं, लेकिन फिर भी कुछ छूट हैं. वहां हुआवे के जो उपकरण लगे हैं, वो वहां 2027 तक रहेंगे, उसके बाद उन्हें हटाना जरूरी होगा. अभी भी साढे़ सात साल तक हुआवे यूके में काम करता रहेगा और जासूसी करता रहेगा. लेकिन कई अन्य देश हैं, जिन्होंने हुआवे पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है जैसे चेक रिपब्लिक, रोमानिया, स्वीडन, लाटविया, डेनमार्क, पोलैंड, एस्टोनिया, आदि.
उन्होंने कहा कि भारत को भी हुआवे पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. अगर 5जी की बात करें तो उसमें भारतीय कंपनियों को बड़ा फायदा हो सकता है. भारत की कंपनी जियो इस पर काम कर रही है. कई अमेरिकी कंपनियां जियो के साथ काम करना चाहती हैं. फेसबुक समेत कई कंपनियों ने तो जियो में निवेश भी कर दिया है. दरअसल चीन का जो रवैया है, उसे देखते हुए दुनिया में सवालिया निशान खड़े हो गए हैं. दुनिया का मानना है कि लोकतांत्रिक देशों को मिलकर काम करना चाहिए और चीन जिस तरह से दूसरे देशों को नुकसान पहुंचाता आ रहा है, उसको हमें बिलकुल रोक देना चाहिए.