आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग (IPL Spot Fixing Case) में जब श्रीसंत (Sreesanth) का नाम सामने आया था, तब सभी लोग हैरान रहे गए थे. इसके चलते वह गिरफ्तार भी हुए थे. साल 2013 से वह खुद को बेगुनाह साबित करने की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनके क्रिकेट खेलने पर आजीवन प्रतिबंध लगा हुआ है. बीच में यह बैन हटा भी दिया गया था लेकिन बाद में जब बीसीसीआई ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की, तब उन पर दोबारा प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद श्रीसंत ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया था.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस केस की सुनवाई हुई. श्रीसंत ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि उन पर लगा आजीवन प्रतिबंध सही नहीं है. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि जुर्म कबूल करवाने के लिए दिल्ली पुलिस ने उन्हें लगातार टॉर्चर किया था. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक श्रीसंत के वकील ने कहा कि उनके क्लाइंट के खिलाफ कोई भी ठोस सबूत नहीं था और उन्होंने पिछले पांच सालो में काफी परेशानियां झेली है.
सीनियर एडवोकेट सलमान खुर्शीद ने कहा कि, "जिस तरीके से चीजें हुई है, कोर्ट को यह बात सोचनी चाहिए कि श्रीसंत पर लगा आजीवन प्रतिबंध गलत है. लोग चाहते हैं कि वो क्रिकेट खेले. वह बीसीसीआई के प्रति बेहद लॉयल थे. टीम और उनके मालिकों को 2 साल के लिए बैन किया गया था. यह बिल्कुल सही नहीं है कि श्रीसंत पर आजीवन प्रतिबंध लगा हुआ है. दिल्ली पुलिस के लगातार टॉर्चर के चलते उन्हें गुनाह कबूल करना पड़ा था. श्रीसंत के मुताबिक पुलिस ने उन्हें धमकी दी थी कि अगर उन्होंने अपराध स्वीकार नहीं किया तो उनके परिवार को फंसा दिया जाएगा."