इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक लिव-इन कपल की ओर से FIR रद्द करने के लिए दायर याचिका रद्द कर दी है. लिव-इन कपल में लड़का नाबालिग है, जबकि लड़की बालिग है. कोर्ट ने लड़के के नाबालिग होने पर गौर करते हुए 'आश्चर्य' व्यक्त किया कि नाबालिग लड़का, जो अपने पिता पर निर्भर है, लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहता है. मामले में लड़की और उसके नाबालिग लिव-इन पार्टनर ने आईपीसी की धारा 366 के तहत लड़के के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने के ‌लिए याचिका दायर की थी. नतीजतन, एफआईआर को रद्द करने की प्रार्थना अस्वीकार कर दी गई और रिट याचिका खारिज कर दी गई.

वहीं एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने कहा था कि एक 'माइनर' (18 वर्ष से कम उम्र का व्यक्ति) लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकता है. यह न केवल अनैतिक बल्कि अवैध भी होगा.

कोर्ट ने यह भी कहा कि लिव-इन रिलेशन को विवाह की प्रकृति का संबंध मानने के लिए कई शर्तें हैं और किसी भी मामले में, व्यक्ति को बालिग (18 वर्ष से अधिक) होना चाहिए, भले ही वह विवाह योग्य उम्र (21 वर्ष) का ना हो.

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