दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि स्पर्श के एक साधारण कार्य को पॉक्सो एक्ट की धारा 3 (सी) के पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट के अपराध के लिए की गई छेड़छाड़ नहीं माना जा सकता. पॉक्सो एक्ट की धारा 3 (सी) में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से से छेड़छाड़ करता है ताकि वह योनि, मूत्रमार्ग, गुदा या शरीर के किसी अन्य हिस्से में पेनेट्रेशन कर सके, बच्चे से अपने साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कराए, तो उसे "पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट" कहा जाता है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 6 साल की बच्ची से बलात्कार के मामले में अपनी दोषसिद्धि और 10 साल की सजा को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. उसे 2020 में भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 (बलात्कार) और पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 6 (एग्रावेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था.
#DelhiHighCourt clarifies act of 'touch' not manipulation for offence of penetrative sexual assault under POCSO Act
Read: https://t.co/rrrgeOro0y pic.twitter.com/RJ6mURrv2B
— IANS (@ians_india) November 6, 2023
(SocialLY के साथ पाएं लेटेस्ट ब्रेकिंग न्यूज, वायरल ट्रेंड और सोशल मीडिया की दुनिया से जुड़ी सभी खबरें. यहां आपको ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर वायरल होने वाले हर कंटेंट की सीधी जानकारी मिलेगी. ऊपर दिखाया गया पोस्ट अनएडिटेड कंटेंट है, जिसे सीधे सोशल मीडिया यूजर्स के अकाउंट से लिया गया है. लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है. सोशल मीडिया पोस्ट लेटेस्टली के विचारों और भावनाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, हम इस पोस्ट में मौजूद किसी भी कंटेंट के लिए कोई जिम्मेदारी या दायित्व स्वीकार नहीं करते हैं.)