दिल्ली हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा ‌कि स्पर्श के एक साधारण कार्य को पॉक्सो एक्ट की धारा 3 (सी) के पेनेट्रेटिव सेक्‍सुअल असॉल्ट के अपराध के लिए की गई छेड़छाड़ नहीं माना जा सकता. पॉक्सो एक्ट की धारा 3 (सी) में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति किसी बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से से छेड़छाड़ करता है ताकि वह योनि, मूत्रमार्ग, गुदा या शरीर के किसी अन्य हिस्से में पेनेट्रेशन कर सके, बच्चे से अपने सा‌थ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा कराए, तो उसे "पेनेट्रे‌टिव सेक्‍सुअल असॉल्ट" कहा जाता है.

दिल्ली हाईकोर्ट ने 6 साल की बच्ची से बलात्कार के मामले में अपनी दोषसिद्धि और 10 साल की सजा को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. उसे 2020 में भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 376 (बलात्कार) और पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा 6 (एग्रावेटेड पेनेट्रेटिव सेक्‍सुअल असॉल्ट) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया था.

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