महाराष्ट में सियासी उठा पथक के बीच चुनाव आयोग ने उद्धव गुट को चुनाव चिन्ह के रूप में ‘मशाल’ मिला है. जिस पर समता पार्टी ने आपत्ति जाहरी करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिस पर सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने माना है कि वर्ष 2004 में पार्टी की मान्यता समाप्त होने के बाद से समता पार्टी प्रतीक पर कोई अधिकार साबित करने में विफल रही है. क्योकि समता पार्टी की स्थापना 1994 में जॉर्ज फर्नांडीस और नीतीश कुमार ने की थी.
बता दें कि चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट को ‘मशाल’ का चुनाव चिन्ह आवंटित किया था, साथ ही उनके खेमें को ‘शिवसेना- उद्धव बालासाहेब ठाकरे’ नाम दिया था. वहीं एकनाथ शिंदे खेमें को ‘दो तलवारें और ढाल’ का चुनाव चिह्न दिया. वहीं पार्टी का नाम ‘बालासाहेबंची शिवसेना’ दिया था है.
Justice Sanjeev Narula has held that Samata Party has failed to prove any right over the symbol since the party was de-recognised in the year 2004.
Samata Party was founded in the 1994 by George Fernandes and Nitish Kumar. #DelhiHighCourt #ShivSena #UddhavThackeray #SamataParty
— Bar & Bench (@barandbench) October 19, 2022
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