Caste After Conversion: हिंदू धर्म से इस्लाम में परिवर्तित होने वाले व्यक्ति के पिछड़े वर्ग के आरक्षण के दावे को खारिज करते हुए मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) ने कहा "एक व्यक्ति दूसरे धर्म में धर्मांतरण के बाद अपनी जाति को नहीं ले सकता है."
क्या है मामला
इस्लाम अपनाने वाला एक व्यक्ति अपनी याचिका लेकर मद्रास हाईकोर्ट पहुंचा था. जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने स्पष्ट किया कि जिस जाति में उसका जन्म हुआ, उसे वह धर्मांतरण के बाद अपनी पहचान के रूप में इस्तेमाल नहीं कर सकता है.
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा "जब हिन्दू धर्म का कोई व्यक्ति किसी अन्य मजहब में धर्मांतरण करता है तो उसकी जाति चली जाती है। जैसे ही वो अपने धर्म में वापस लौटता है, उसकी जाति वाली पहचान भी वापस आ जाती है और जिसका वह इस्तेमाल कर सकता है." जिस व्यक्ति ने मद्रास हाईकोर्ट में ये याचिका दायर की थी, वो 2008 में परिवार के साथ मुस्लिम बन गया था। उसने अपना नाम बदल लिया था और गैजेट में ये नहीं दिखाया था.
मद्रास हाईकोर्ट की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सुप्रीम कोर्ट एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें ईसाई और इस्लाम धर्म अपनाने वाले दलितों को अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा देने की मांग की गई है.
"The original caste remains under eclipse and as soon
as the person is reconverted to the original religion, the eclipse disappears and the caste automatically revives", Madras HC quotes from Supreme Court precedents.
— Live Law (@LiveLawIndia) December 2, 2022
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