पानी में गिरा बारहसिंहा, साइकिलिस्टों ने जोखिम उठाकर ऐसे बचाई उसकी जान, देखें हिरण के रेस्क्यू का वीडियो
बारहसिंगा का रेस्क्यू (Photo Credits: Twitter/@susantananda3)

हिरण (Deer)की प्रजातियों में बारहसिंगा (Reindeer) को सबसे दुर्लभ प्रजाति मानी जाती है. आमतौर पर इंसानों को बारहसिंहा का दुश्मन माना जाता है, क्योंकि उसके सिंग और मांस के लालच में कई लोग बारहसिंहा का चोरी-छिपे शिकार करने से भी नहीं चूकते हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि हर इंसान बारहसिंहा का दुश्मन ही होता है, क्योंकि कई ऐसे लोग भी हैं जो जानवरों (Animals) से प्यार करते हैं और उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते. एक ऐसा ही वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल (Viral Video) हो रहा है, जिसमें एक बारहसिंगा हिरण पानी में फंसा हुआ नजर आ रहा है और कुछ साइकिलिस्ट (Cyclist) जोखिम उठाकर उसे पानी से बाहर निकाल रहे हैं. आखिरकार वो बारहसिंगा को पानी से बाहर निकालने में कामयाब होते हैं.

इस वीडियो को आईएफएस सुसांता नंदा (IFS Susanta Nanda) ने ट्विटर पर शेयर किया है. इसके साथ ही उन्होंने कैप्शन लिखा है- मजबूत लोग दूसरों को नीचे नहीं रखते हैं.... वो उन्हें ऊपर उठाते हैं. इस वीडियो को देखने के बाद सोशल मीडिया यूजर्स ने भी इन साइकिलिस्टों की सराहना की है.

देखें वीडियो-

इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे एक बारहसिंगा पानी में गिरकर फंस गया है और वो बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है. ऐसे में वहां से गुजर रहे साइकिलिस्टों का एक ग्रुप बारहसिंहा की मदद के लिए पहुंचता है और खुद को जोखिम में डालकर ये सभी उसके सिंग को पकड़कर उसे पानी से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ समय बाद हिरण को बाहर निकालने में उन्हें सफलता मिल जाती है, लेकिन पानी से बाहर आते ही हिरण उन लोगों को धक्का मारते हुए तेजी से जंगल की तरफ भागने लगता है. इस दौरान एक साइकिलिस्ट गिर जाता है. यह भी पढ़ें: हिरण निकला शेर से भी खतरनाक, एक शख्स की ली जान और महिला को किया अधमरा

गौरतलब है कि बारहसिंगा पहले एशिया महाद्वीप के कई देशों में पाया जाता था, लेकिन अब भारत और नेपाल तक ही सीमित है, इसलिए इसे विलुप्त प्राणी की श्रेणी में रखा गया है. हिरण की दुर्लभ प्रजाति में शुमार इस प्राणी का नाम उसके सिर पर मौजूद 12 सिंगों की वजह से पड़ा है, जबकि सामान्य हिरण के सिर पर सिर्फ दो सिंह होते हैं. बारहसिंहा हिरण हर मौसम में ज्यादा पानी पीते हैं और वे पेड़ों की पत्तियां, टहनियां, फल और घासफूस खाकर अपना पेट भरते हैं.