Indian Judicial System: सोशल मीडिया पर एक बुजुर्ग दंपत्ति द्वारा हाईकोर्ट में लकड़ी की ट्रॉली पर केस फाइलें घसीटने की तस्वीर सामने आई है, जिसने भारत की न्याय प्रणाली की कठोर सच्चाई को उजागर कर दिया है. इस तस्वीर को करियर360 के संस्थापक महेश्वर पेरी ने अपने 'एक्स' हैंडल से शेयर किया है, जिसमें एक बुजुर्ग दंपत्ति सालों से अपने केस की फाइलों को लकड़ी की ट्रॉली पर लेकर न्याय के लिए संघर्ष करता दिख रहा है. पेरी ने इसे भारतीय न्याय व्यवस्था की "ढीली, असंवेदनशील और सहानुभूति से रहित" प्रणाली का प्रतीक बताया.
पेरी ने अपने संदेश में कानून के छात्रों से अपील की कि वे इस दंपत्ति जैसे हाशिए पर पड़े लोगों की आवाज बनने का प्रयास करें. उन्होंने कहा, “एक वकील के रूप में आप सिर्फ कानून नहीं, बल्कि जीवन बदलते हैं. आप कमजोर लोगों की रक्षा करते हैं और अन्याय का सामना करते हैं.”
भारत की न्याय प्रणाली की कठोर सच्चाई
A few years back, In one of the court hearings that I was forced to attend, We saw this old couple doing the rounds at a high court. They carried files and papers of many years. The weight of the files represents the years they spent pleading, begging and seeking justice. Over… pic.twitter.com/QNGTVMR9D0
— Maheshwer Peri (@maheshperi) October 3, 2024
इस तस्वीर को देखने के बाद नेटिजन्स ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. एक्स यूजर @ajaypask ने कहा कि न्याय पाने की प्रक्रिया बहुत कठिन है और इसकी कीमत भी बहुत बड़ी होती है. दूसरे एक्स यूजर @harryrandhawa32 ने लिखा कि आज वकील और न्यायाधीश सिर्फ़ पैसे या रिश्वत पर काम करते हैं. इस दंपत्ति के पास इतना पैसा नहीं है कि वे अपना केस आगे बढ़ा सकें. एक अन्य यूजर @Sam_lifecruiser ने लिखा, "भारत को ऐसे युवाओं की ज़रूरत है, जो मानवता, न्याय और करुणा की परवाह करें, न कि केवल व्यक्तिगत लाभ की."
रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत के 23 उच्च न्यायालयों में 2023 में लंबित मामलों की संख्या 620,000 से भी अधिक हो गई है, जो पिछले कुछ वर्षों में 33% की वृद्धि को दर्शाती है. अधीनस्थ न्यायालयों में भी 40 मिलियन से अधिक मामलों का बैकलॉग है. यह कहानी सिर्फ एक बुजुर्ग दंपत्ति की नहीं, बल्कि उन लाखों लोगों की है, जो न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं. क्या हमारी न्याय प्रणाली इनकी आवाज़ सुनेगी? यह एक बड़ा सवाल है.