Islamic Studies Part of UPSC Syllabus: सोशल मीडिया पर आए दिन कई फेक खबरें सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं, जिनके जरिए लोगों तक गलत और भ्रामक जानकारियां पहुंचाई जा रही है. ऐसी ही एक फेक खबर में दावा किया गया है कि इस्लामिक स्टडीज (Islamic studies) को संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) यानी यूपीएससी (UPSC) के सिलेबस में शामिल किया गया है. यूजर्स सोशल मीडिया पर इस फेक खबर को शेयर कर रहे हैं और एक न्यूज चैनल की रिपोर्ट के बाद यूपीएससी के सिलेबस (UPSC Syllabus) में इस्लामिक स्टडीज को शामिल करने पर सवाल उठा रहे हैं. हालांकि आईपीएस एसोसिएशन (IPS Association) ने इस फेक खबर का खंडन किया है.
टीवी चैनल के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके (Suresh Chavhanke) ने शो का टीजर शेयर किया जो 28 अगस्त को प्रसारित होने जा रहा है. उन्होंने टीजर में यूपीएससी जिहाद जैसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया है.
सुरेश चव्हाणके का ट्वीट-
लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों पर मुस्लिम घुसपैठ का पर्दाफ़ाश.
देश को झकझोर देने वाली इस सीरीज़ का लगातार प्रसारण प्रतिदिन. शुक्रवार 28 अगस्त रात 8 बजे से सिर्फ सुदर्शन न्यूज़ पर.@narendramodi @RSSorg pic.twitter.com/B103VYjlmt
— Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) August 25, 2020
इसके तुरंत बाद गलत सूचना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी. हालांकि आईपीएस एसोसिएशन ने इस खबर का खंडन किया है और ट्वीट कर कहा है कि न्यूज चैनल द्वारा धर्म के आधार पर नागरिक सेवाओं में उम्मीदवारों को लक्षित करने वाली एक खबर को बढ़ावा दिया जा रहा है. हम पत्रकारिता के सांप्रदायिक और गैर-जिम्मेदाराना रवैये की निंदा करते हैं. अरुण बोथरा सहित कई आईपीएस अधिकारी भी आगे आए और इस फेक खबर का खंडन किया. यह भी पढ़ें: Fact Check: MCC आवंटन पत्र में कथित तौर पर छात्रों को विकल्प और मेरिट के आधार पर सीटें आवंटित करने का दावा, PIB से जानें इस वायरल खबर की सच्चाई
आईपीएस एसोसिएशन का ट्वीट-
A news story targeting candidates in civil services on the basis of religion is being promoted by Sudarshan TV.
We condemn the communal and irresponsible piece of journalism.
— IPS Association (@IPS_Association) August 27, 2020
अरुण बोथरा (Arun Bothra) ने ट्वीट किया कि अगर यूपीएससी गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों से समझौता करता है तो मैं आईएएस और आईपीएस में नहीं होता. यह सिविल सर्विसेज को धार्मिक लाइन में विभाजित करने का एक शर्मनाक और खतरनाक प्रयास है. सिविल सेवकों के रूप में हम सभी की एक ही पहचान है और वो है भारतीय. एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि आप मुझे यूपीएससी के पाठ्यक्रम में इस्लामिक स्टडीज को दिखा सकते हैं तो दिखाएं मैं इंतजार कर रहा हूं. यह भी पढ़ें: Free Smartphones to Students by Govt? क्या कोरोना संकट के बीच सरकार सभी छात्रों को मुफ्त एंड्रॉइड स्मार्टफोन दे रही है? PIB फैक्ट चेक से जानें वायरल की खबर सच्चाई
अरुण बोथरा का ट्वीट-
If the UPSC was so compromised poor & middle class people like me would not have been in IAS & IPS.
This is an utterly shameful & dangerous attempt to divide the civil services on religious lines. As civil servants we all have only one identity - Indians.
Jai Hind 🇮🇳 https://t.co/UmXgCgn68A
— Arun Bothra (@arunbothra) August 27, 2020
यहां तक कि यूपीएससी की आधिकारिक वेबसाइट पर सिविल सेवा परीक्षा के विषयों की लिस्ट में इस्लामिक स्टडीज का उल्लेख नहीं है. यहां यूपीएससी के विषयों की लिस्ट दी गई है, जिससे यह साबित होता है कि इस्लामिक स्टडीज को यूपीएससी सिलेबस में शामिल करने का दावा करने वाली वायरल खबर फेक और निराधार है. लेटेस्टली अपने पाठकों को सलाह देता है कि ऐसी किसी भी फेक खबर पर विश्वास न करें.
Fact check
इस्लामिक स्टडीज को UPSC सिलेबस का हिस्सा बनाया गया.
इस्लामिक स्टडीज को यूपीएससी सिलेबस का हिस्सा बनाए जाने की सोशल मीडिया पर वायरल हो रही खबर फेक है.