वास्तुशास्त्रियों का मानना है कि सपनों का संबंध आत्मा से होता है. कोई भी व्यक्ति जब गहरी नींद में होता है, उसका शरीर आत्मा से अलग होता है, क्योंकि आत्मा सदा जागृत अवस्था में रहती है. इंसान जब निद्रावस्था में होता है तो उसकी पांचों ज्ञानेंद्रियां एवं पांचों कर्मेंद्रिया निष्क्रिय हो जाती हैं. इस दौरान उस इंसान को कुछ नयी अनुभूतियां प्राप्त होती हैं, जिसमें किसी न किसी रूप में उसका भी जुड़ाव रहता है. इसे ही स्वप्न कहते हैं. अर्थहीन होने के बावजूद हर सपना कुछ कहता है. कुछ सपने नैराश्यता दर्शाते हैं तो कुछ आह्लादित करते हैं, लेकिन डरावने सपने जागने के बाद भी इंसान को भयभीत बनाए रहते हैं. आइये जानें ऐसे सपने कब आते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है...
सर्वप्रथम इस सच को ह्रदय से स्वीकारें कि सपने सच नहीं होते. ट्रेजिडी यह है कि अच्छे सपने हमें ज्यादा समय तक याद नहीं रहते, जबकि डरावने सपने हमारी नींद उड़ा देते हैं. कभी-कभी स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो जाती है कि अगली रात सोने से पूर्व हमें भय होता है कि कहीं फिर वही सपना ना आ जाये.
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क्यों आते हैं डरावने सपने
सपनों पर चर्चा करने से पूर्व हमें यह जानना आवश्यक है कि हमारा मस्तिष्क सदैव सक्रिय रहता है. सोने से पूर्व हम अगर किसी विषय विशेष की कल्पना करते हैं तो वह बात दिमाग के किसी कोने में स्थिर होकर रह जाती है. गहरी नींद में आने पर वही बात हमें सपने में दिखाई देता है. लेकिन कभी-कभी उल जलूल सपने भी हमें डराते हैं. वास्तुशास्त्रियों का कहना है कि सोने से पूर्व यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो हम डरावने सपने देखने से काफी हद तक बच सकते हैं.
सोने से पूर्व इन बातों का रखें ख्याल
* वास्तु के अनुसार गहरी और अच्छी नींद के लिए सोते समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारा सिर दक्षिण की ओर पैर उत्तर की ओर होने चाहिए.
* सोते समय आपका पैर बाथरूम अथवा ट्वायलेट की तरफ नहीं होना चाहिए. इससे ट्वायलेट की सारी नकारात्मक ऊर्जाएं हमारी मस्तिष्क से होते हुए पूरे शरीर को अपने प्रभाव में ले लेती हैं, और हम डरावने सपने देखते हैं.
* अकसर हम घर की अनावश्यक वस्तुएं अपनी बेड में बनें बॉक्स में रख देते हैं. इस वजह से घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है, यह नकारात्मक एनर्जी हमें बुरे सपने देखने के लिए बाध्य करती हैं. इसलिए कोशिश करें कि जिन वस्तुओं की आपको जरूरत नहीं, उन्हें कबाड़ मानकर फेंक अथवा किसी जरूरतमंद को दे दीजिये. क्योंकि हो सकता है कि जो वस्तु आपके किसी काम की ना हो वह किसी की जरूरत हो.
* सोने से पूर्व आपराधिक विषयों वाले टीवी धारावाहिक अथवा क्राइम विषयों वाली पुस्तकें न पढ़ें. क्योंकि ऐसी चीजें सोने से पूर्व आपके दिमाग में रहती हैं, जो सोने के बाद सपनों में भी दिखाई देती हैं. बेहतर होगा सोने से पूर्व कोई धार्मिक पुस्तक पढ़ें अथवा टीवी पर पुराने गाने देखें.
* जिस बेड पर आप सो रहे हैं, उसके नीचे जूते-चप्पल आदि न रखें. ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है, जिसका बुरा असर सुप्तावस्था में आने के पश्चात आपके शरीर पर पड़ता है.
* इन दिनों मोबाइल फोन का जरूरत से ज्यादा प्रयोग हो रहा है. अकसर कुछ लोग बिस्तर पर जाने के बाद स्मार्टफोन पर फेस बुकिंग, चैटिंग, गेम इत्यादि करते हैं, इससे फोन से निकलने वाली तरंगें हमारे मस्तिष्क पर बुरा असर छोड़ती हैं. सोने से पूर्व अपने फोन को तकिये के नीचे न रखकर अन्यंत्र रखकर चैन की नींद लेने का यत्न करें.
* अकसर लोग दिन भर के काम के तनाव को सोने से पूर्व भी अपने दिलो-दिमाग से उतार नहीं पाते. इस वजह से सोने के उपरांत वही बातें बुरे सपनों के रूप में नजर आती है. इसलिए नींद से पूर्व सारे तनाव को भुला देना ही श्रेयस्कर होता है.
* जिस चादर पर आप सोते हैं, वह हलके रंग के एवं साफ-सुथरे होने चाहिए. गहरे रंग अथवा कार्टून या फिर किसी जानवर विशेष के चित्र वाले नहीं होने चाहिए. ये चीजें भी नकारात्मक ऊर्जाओं को आश्रय देती हैं. इनसे बचना चाहिए.
* सोने से पूर्व अपने सिरहाने तकिये अथवा विस्तर के नीचे लोहे का चाकू रखकर सोने से भी नकारात्मक ऊर्जाओं से आप बचे रहते है.
* सोने से पूर्व महिलाएं अपने बालों को बांधकर नहीं सोयें, इससे भी आपको रात में सपने आ सकते हैं. इसलिए सोने से पूर्व अपने बालों को खुला रखें.
ध्यान रखें कि दिन भर के कामकाज के तनाव के बाद रात में गहरी नींद लेना आवश्यक होता है. इसलिए सोने से पूर्व इस तरह की बातों का ख्याल रखेंगे, तो बुरे सपनों से बच सकते हैं.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को पौराणिक किदवंतियों और प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.