एक समय था जब ब्रेन ट्यूमर का इलाज आसान नहीं था. अधिकांश मामलों में मरीज को अपनी जिंदगी खोनी पड़ती थी. लेकिन विज्ञान की नई-नई तकनीकों के साथ आज ब्रेन ट्यूमर का इलाज अब इतना मुश्किल नहीं रहा. सही समय पर ब्रेन ट्यूमर की पहचान हो जाए, यह कैंसरग्रस्त नहीं हो तो ब्रेन ट्यूमर का सफल इलाज अब भारत में भी होने लगा है. यद्यपि ब्रेन ट्यूमर के प्रति आम लोगों को जागरुक करने के लिए पिछले कुछ सालों से 8 जून को विश्व भर में ब्रेन ट्यूमर दिवस (World Brain Tumor Day 2019) मनाने की परंपरा शुरू की गई है.
मस्तिष्क में कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने पर जो गांठ बन जाती है, उसे ही ब्रेन ट्यूमर कहते हैं. इसमें मस्तिष्क के खास हिस्से में कोशिकाओं का गुच्छा बन जाता है. यह कई बार कैंसर की गांठ में तब्दील हो जाता है, इसलिए ब्रेन ट्यूमर को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए.
दिल्ली स्थित सर गंगा राम अस्पताल के सुप्रसिद्ध न्यूरो सर्जन डॉ अंशुल गुप्ता के अनुसार भारत के न्यूरो विशेषज्ञ लगभग हर वर्ष औसतन हजार मरीजों में ब्रेन ट्यूमर की समय रहते जांच कर लेते हैं, जिसमें लगभग 10 हजार बच्चे होते हैं.
लंबी जिंदगी जी सकता है मरीज
एक समय था जब रिस्की ऑपरेशन के नाम से ब्रेन ट्यूमर के मरीज चिकित्सकों के पास जाने से घबराते थे. उन्हें लगता था कि इतना बड़ा ऑपरेशन करने के पश्चात भी बचने की संभावनाएं कम हो तो ऑपरेशन के नाम पर चीड़-फाड़ क्यों करवाया जाए. आज इस संदर्भ में नोएडा स्थित फोर्टिस एस्कार्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के ब्रेन एवं स्पाइन सर्जन डॉ. राहुल गुप्ता से बात होती है तो वे कहते हैं, वर्तमान में चिकित्सा जगत ने इस दिशा में भी काफी तरक्की कर ली है. इस वजह से अब ब्रेन ट्यूमर का ऑपरेशन न केवल सुरक्षित और सफलता पूर्वक होने लगी है, बल्कि मरीजों को भी विश्वास हो चला है कि ब्रेन सर्जरी के बाद न केवल उन्हें रोग से हमेशा के लिए मुक्ति मिल सकती है बल्कि वे लंबा जीवन भी जी सकते हैं. डॉ. गुप्ता के अनुसार एक समय था जब ब्रेन ट्यूमर का मरीज कुछ माह तक ही जीवन जी सकता था, लेकिन आज ऐसे कई केश हैं जब मरीज ऑपरेशन के बाद औसतन तीस-पैंतीस सालों तक जीवित रहता है.
दिवस विशेष की जागरुकता के संदर्भ में
गुड़गांव के मेदांता अस्पताल के सर्जन डॉ कुमुद हांडा मानते हैं कि सेहत को लेकर विश्व कैंसर दिवस अथवा विश्व ब्रेन ट्यूमर जैसी विशेष तिथियां लोगों में अपने सेहत को लेकर जागरुकता पैदा करती हैं. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि ऐसे दिनों को और ज्यादा सार्थक और प्रभावी बनाने के लिए इस दिन विशेष पर हर अस्पतालों एवं सोशल संस्थाओं विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी गंभीर बीमारियों के संदर्भ में गोष्ठियां आयोजित की जानी चाहिए, लोगों को नई चिकित्सा क्षेत्र की नई तकनीकों से परिचय करवाना चाहिए. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मरीज समय से पूर्व अपनी बीमारी को जानने और उसका इलाज करवाने में सक्षम होंगे. वरना केवल जागरुकता के अभाव में अकसर मरीज ऐसे समय पर चिकित्सक के पास आते हैं जब केस हाथ से निकल चुका होता है.
जागरुकता का लाभ
जांच सुविधाओं के आने और मरीजों की जागरुकता के कारण ब्रेन ट्यूमर के काफी मामले अब बिगड़ने से पहले संभाल लिए जाते हैं. मरीज इलाज कर निश्चिंत होकर घर जाते हैं और वे लंबी आयु भी जी पाते हैं. बीते दस साल की अपेक्षा आज औसतन ब्रेन ट्यूमर का एक मरीज अस्पताल अवश्य आता है. जिस अस्पताल में जितनी बेहतर सुविधा होती है. वहां ब्रेन ट्यूमर के मरीजों की संख्या ज्यादा भी देखी जा सकती है.
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
गुड़गांव स्थित आर्टिमिस अस्पताल के न्यूरो विशेषज्ञ डॉ. गुप्ता बताते हैं कि अगर ब्रेन ट्यूमर के मरीज का सही समय पर इलाज हो जाए तो उसे नई जिंदगी दिलाई जा सकती है. ब्रेन ट्यूमर से ग्रस्त मरीजों में इस तरह के आम लक्षण देखने को मिलते हैं. मरीज को प्रातःकाल उठते ही सिरदर्द अथवा उल्टी के साथ-साथ सर दर्द की शिकायत हो तो यह ब्रेन ट्यूमर का भी संकेत हो सकता है. इसके अलावा अगर सर दर्द की अकसर शिकायत हो, साथ ही उल्टी लगती हो, अंग विशेष में कमजोरी महसूस होती , आंखों की रोशनी कम हो रही है, तो ये ब्रेन ट्यूमर के लक्षण भी हो सकते हैं. ऐसी स्थिति में जितनी जल्दी हो डॉक्टर से मिलकर तुरंत इलाज शुरू करवा देना चाहिए. याद रखिए आज की तारीख में अधिकांश बीमारियों का इलाज उपलब्ध है, बशर्ते चिकित्सक से मिलने में में देरी नहीं करिए.
किन किन वस्तुओं से ब्रेन ट्यूमर उत्पन्न हो सकता है
स्मार्ट फोन से होने वाले विकिरण एवं कुछ रासायनिकों के ज्यादा संपर्क में ज्यादा आने पर ब्रेन ट्यूमर हो सकते हैं
कार्सिनोजेनिक किस्म के रसायनों के संपर्क में रहने से भी ब्रेन ट्यूमर का खतरा रहता है.
आइयोनाइजिंग रेडिएशन के संपर्क में रहते हैं उन्हें ब्रेन ट्यूमर होने का खतरा अधिक होता है.
गलत जीवन शैली, खाने पीने की चीजों में मिला रसायन अनुवांशिक कारणों से भी व्यक्ति ब्रेन ट्यूमर का शिकार बन सकता है.