Surya Dev Mantra: है कि ऐसा करने से वर्तमान में चल रहे तमाम संकट एवं व्यार्धियों से छुटकारा मिलता है. हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार रविवार का दिन भगवान भास्कर अर्थात सूर्यदेव के नाम समर्पित होता है. मान्यताओं के अनुसार रविवार के दिन सूर्योदय के पश्चात सूर्य मंत्रों का जाप करने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और जातक को रोग, शोक अथवा आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है. Sisters' Day 2022 Wishes: सिस्टर्स डे पर अपनी बहन को इन हिंदी WhatsApp Messages, Facebook Greetings, Quotes के जरिए दें प्यार भरी शुभकामनाएं
हिंदू धर्म में सूर्य को शक्ति, जीवन और स्वास्थ्य का देवता माना जाता है. धार्मिक एवं वैज्ञानिक मान्यताएं हैं कि सूर्य के कारण ही पृथ्वी पर प्रकृति विद्यमान है. सूर्य सकारात्मक ऊर्जा प्रमुख स्त्रोत माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक उदय होते सूर्य की उपासना कने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है. इस दिन सूर्योपासना अथवा सूर्य को अर्घ्य देने से यथोचित लाभ प्राप्त होता है, आइये जानें रविवार के दिन किस मंत्र के जाप से क्या फल प्राप्त होते हैं, और मंत्र का जाप एवं सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि क्या है.
रविवार को ऐसे करें सूर्य पूजा!
अमूमन रविवार को अधिकांश हिंदू धर्म के लोग सुबह उठकर स्नान-ध्यान के पश्चात सूर्य देव को लाल पुष्प के साथ जल अर्पित करते हैं. कहते हैं कि ऐसा करने से आपकी कुंडली में सूर्य की स्थित मजबूत बनती है. हमारे ज्योतिषाचार्य पंडित विनोद दवे का कहना है कि प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व स्नान के पश्चात सूर्य को जल अर्पित करते हुए सूर्य देव के निम्नलिखित पांच में से किसी एक मंत्र का 108 जाप करने से आपके रास्ते में आने वाली सारी बाधाएं दूर होती हैं, आपकी आय के स्त्रोत खुलते हैं. आप पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है.
सूर्य देव के 7 अति प्रभावशाली मंत्र!
- ॐ सूर्याय नम:
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
- ऊं घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
- ॐ घृणि सूर्याय नम:
- ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा
- ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:
सूर्यदेव को जल अर्पण एवं मंत्रोच्चारण के समय इस बात का रखें ध्यान!
पंडित दवे के अनुसार सूर्यदेव को विशेष कामनाओं के तहत मंत्र-जाप के साथ जल अर्पित कर रहे हैं तो निम्न बातों का अवश्य ध्यान रखें, वरना कार्य सिद्धी में बाधाएं आ सकती हैं.
- प्रातःकाल भोर के समय (सूर्योदय से एक घंटे के भीतर) सूर्यदेव को जल अर्पित करना लाभकारी होता है.
- सूर्योदय की दिशा यानी पूर्व दिशा में मुंह करके जल अर्पित करना चाहिए.
- अगर सूर्य बादलों में छिपा हो तो भी उसी दिशा में उन्हें जल अर्पित करना चाहिए.
- एक ही मंत्र पढ़ें, मगर उसके उच्चारण में दोष नहीं होना चाहिए.
- स्वच्छ वस्त्र ही पहनकर ही सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए.
- सूर्यदेव को जल तांबे के लोटे से ही अर्पित करना चाहिए.
- तांबे के लोटे में शुद्ध जल के साथ अक्षत, लाल चंदन, लाल पुष्प, रोली अवश्य डालना चाहिए.
इस तरह आप देख सकते हैं बस कुछ बातों का ध्यान रखकर आप अपने वर्तमान को कष्टों एवं तमाम समस्याओं मुक्त कर जीवन का सहज और सुखमय बना सकते हैं.