Hanuman Jayanti 2025: कब है हनुमान जयंती? जानें विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग तिथियों में क्यों मनाई जाती है हनुमान जयंती?
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Hanuman Jayanti 2025: हनुमान जयंती प्रभु श्रीराम के दिव्य भक्त भगवान हनुमान के जन्म के रूप में मनाया जाता है. सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व माना जाता है. हनुमान माता अंजना और पिता केसरी के पुत्र हैं, जिन्हें आंजनेय के नाम से भी जाना जाता है. प्रभु श्रीराम के प्रति अटूट भक्ति और अपार साहस और शक्ति के रूप में पहचाने जाने वाले हनुमान जी की जयंती पर देश भर में उनकी पूजा-अर्चना होती है.

इस अवसर पर हनुमान मंदिरों की विशेष साज-सज्जा होती है, यहां हनुमान चालीसा आदि का पाठ होता है, लेकिन क्षेत्रीय मान्यताओं एवं चंद्र कैलेंडर के आधार पर क्षेत्रों के अनुसार विभिन्न तिथियों में हनुमान जयंती मनाई जाती है. आइये जानते हैं, इसके बारे में विस्तार से..ये भी पढ़े:Hanuman Jayanti 2024: भगवान शिव के रुद्रावतार हनुमान जी की जयंती पर क्या करें, और क्या करने से बचें!

कब मनाई जाएगी हनुमान जयंती 10 या 12 अप्रैल को?

चैत्र पूर्णिमा प्रारंभः 03.21 AM (12 अप्रैल 2025, शनिवार)

चैत्र पूर्णिमा प्रारंभः 05.51 AM (13 अप्रैल 2025, रविवार)

उदया तिथि के नियमों के अनुसार इस वर्ष 12 अप्रैल 2025 शनिवार को हनुमान जयंती मनाई जाएगी. हनुमान जयंती शनिवार को पड़ने से इसकी महत्ता बढ़ गई है, क्योंकि यह दिन हनुमान जी को समर्पित दिन माना जाता है. हिंदू परंपराओं के अनुसार हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था, इसलिए हनुमान मंदिरों में सूर्योदय से सूर्यास्त तक आध्यात्मिक प्रवचन और प्रार्थनाएं आयोजित की जाती है. घरों एवं मंदिरों में हनुमान चालीसा अथवा सुंदरकांड के पाठ होते हैं. जगह-जगह भोग खिलाए जाते हैं. इस दिन तमाम हनुमान भक्त उपवास रखते हैं,

क्षेत्रीय आधार पर हनुमान जयंती की विभिन्न तिथियां

क्षेत्रीय मान्यताओं और चंद्र कैलेंडर के आधार पर देश भर में भिन्न-भिन्न तिथियों पर हनुमान जयंती मनाई जाती है.

उत्तर भारत: उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली समेत समस्त उत्तर भारत में चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है.

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना राज्यों में हनुमान जयंती 41 दिनों तक मनाई जाती है, जो चैत्र पूर्णिमा से वैशाख में कृष्ण पक्ष के 10वें दिन तक चलती है. इस अवधि को 'दीक्षा' के रूप में जाना जाता है, जो तपस्या और भक्ति का समय है.

तमिलनाडु: तमिलनाडु में इसे हनुमथ जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो आमतौर पर दिसंबर या जनवरी के माह में पड़ता है.

कर्नाटक: यहां, इस पर्व को हनुमान व्रतम (हनुमान जन्मोत्सव) के रूप में जाना जाता है, जिसे मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है.

परंपराएँ और अनुष्ठान

इस पवित्र पर्व पर, भक्त सूर्योदय से पूर्व उठ कर हनुमान मंदिरों में जाते हैं. अनुष्ठान आमतौर पर सूर्योदय से पूर्व शुरू होते हैं, जिसे हनुमान के जन्म का समय माना जाता है. भक्त हनुमान चालीसा का जाप करते हैं, सुंदर कांड का पाठ करते हैं और गुड़, केला और पान जैसे प्रसाद चढ़ाते हैं. कई लोग हनुमान जी का आशीर्वाद पाने के लिए एक दिन का उपवास भी रखते हैं.