सनातन धर्म में मार्गशीर्ष मास भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित माना जाता है. मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष की पूर्णिमा का दिन कई आध्यात्मिक कारणों से बहुत महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन त्रिपुर सुंदरी जयंती बड़ी धूमधाम के साथ मनाई जाती है, इसी दिन गंगा-स्नान एवं सभी कलाओं से परिपूर्ण चंद्र देव की पूजा-अनुष्ठान का भी विधान है. इस वर्ष त्रिपुर जयंती 7 दिसंबर, 2022 बुधवार को मनाई जायेगी. यहां हम जानेंगे कि कौन हैं त्रिपुर सुंदरी, क्या है उनका महात्म्य और कैसे करेंगे उनकी पूजा उनका पूजा अनुष्ठान इत्यादि. यह भी पढ़ें: Vastu Tips for Negative Energy: घर में व्याप्त नकारात्मक शक्तियां तमाम विरक्तियां पैदा करती हैं! करें ये 5 सहज उपाय, तमाम संकटों से मिल सकती है मुक्ति!
कौन हैं त्रिपुर सुंदरी
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार देवी त्रिपुर सुंदरी वैदिक मंत्रों की नायिका हैं, देवी पुराण में इन्हें देवी पार्वती का ही तांत्रिक रूप बताया गया है. देवी पुराण के अनुसार माता पार्वती ने जब भगवान शिव से मनुष्य को गर्भवास एवं मृत्यु की असहनीय पीड़ा से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति का उपाय पूछा, तब भगवान शिव ने 10 महाविद्याओं के रूप में त्रिपुर सुंदरी को प्रकट किया था. मां त्रिपुर सुंदरी को महात्रिपुरसुंदरी, लीलामती, ललिताम्बिका, लीलेशी, षोडशी, ललिता, लीलावती, लीलेश्वरी, ललितागौरी और राजराजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है. त्रिपुर सुंदरी जयंती के दिन विशेष मंत्रों के साथ इनकी पूजा की जाती है. इनकी पूजा से घर में सुख-शांति और शुभता बनी रहती है, तथा अनजाने में किये गये पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है. इस दिन को शिव विद्या जयंती के नाम से भी जाना जाता है. इन्हें सभी विद्याओं में श्रेष्ठ बताया गया है.
त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अनुष्ठान ऐसे करें
त्रिपुर सुंदरी जयंती के दिन सुबह गंगा स्नान एवं दान-धर्म करें. इसके पश्चात त्रिपुर सुंदरी का ध्यान करते हुए माता पार्वती के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें तथा सिंदूर, अक्षत, लाल पुष्प एवं मिठाई का भोग लगायें एवं निम्न मंत्र का जाप करें.
* ऐं क्लीं सौ: बालात्रिपुरे स्वाहा.
* ऐं क्लीं सौ: बाला त्रिपुरे सिद्धिं देहि नम:
* ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिपुरमर्दने सर्व शुभं साधय स्वाहा.
पूजा के अंत में विभिन्न समस्याओं से मुक्ति के लिए निम्न उपायों से हवन करें.
* कच्चे दूध में गुडुची के फूलों से हवन करने से अकाल मृत्यु नहीं होती.
* दूध और दुर्वा से हवन करने से मुश्किल से मुश्किल बीमारियों से छुटकारा मिलता है.
* कपूर और गुगुल से हवन करने से जातक को ध्यान और कविता करने की शक्ति मिलती है.
* पलाश के फूलों से होम करने से वाणी की सिद्धी प्राप्त होती है.
* मधु और दही युक्त लावा के होम से मनुष्य को स्वास्थ्य लाभ होता है.
* नारियल से होम करने पर सम्पति प्राप्त होती है.
* नन्द्या वर्त राज वर्ष, कुंद, पाढल और चंपा के फूल या बेल के फूलों से यज्ञ करने से घर में लक्ष्मी का वास बना रहता है.