Sri Vallabhacharya Jayanti 2025: कौन हैं वल्लभाचार्य? जानें इनके जन्म एवं जीवन के चौंकानेवाले कुछ रोचक पहलू!

    भारत आदिकाल से संतों का देश रहा है, जिन्होंने अपने तप बल से तमाम तरह की सिद्धियां हासिल की, और महापुरुष कहलाए. ऐसे ही एक संत एवं दार्शनिक थे श्री वल्लभाचार्य जी, जिन्होंने भारत के ब्रज क्षेत्र में वैष्णववाद के कृष्ण-केंद्रित पुष्टि संप्रदाय और शुद्ध अद्वैत दर्शन की स्थापना की थी. उनके कुछ अनुयायी उन्हें भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप मानते हैं तो कुछ उन्हें अग्नि देव के अवतार के रूप में देखते हैं. उनकी विरासत ब्रज क्षेत्र में अच्छी तरह संरक्षित हैं, विशेष रूप से भारत के मेवाड़ क्षेत्र में नाथ द्वारा खुद को अग्नि का अवतार कहा. वल्लभाचार्य की जयंती (24 फरवरी 2025) के अवसर पर आइये जानते हैं, कृष्ण भक्त वल्लभाचार्य के जीवन के कुछ रोचक पहलुओं के बारे में. यह भी पढ़ें : Earth Day 2025 Wishes: पृथ्वी दिवस के इन प्रभावी हिंदी WhatsApp Messages, Quotes, Facebook Greetings को भेजकर दें अपनों को शुभकामनाएं

वल्लभाचार्य जयंती मूल तिथि एवं शुभ मुहूर्त

वैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी प्रारंभः 04.43 PM (23 अप्रैल 2025बुधवार)

वैशाख कृष्ण पक्ष एकादशी समाप्तः 02.32 PM (24 अप्रैल 2025गुरुवार)

उदया तिथि के अनुसार 24 अप्रैल 2025, गुरुवार को वल्लभाचार्य जयंती मनाई जायेगी.

कौन हैं वल्लभाचार्य महाराजः

   श्री वल्लभाचार्य एक आध्यात्मिक दार्शनिक थे, जिन्होंने भारत में पुष्टि मार्ग सम्प्रदाय की स्थापना की थी. पुष्टिमार्ग को वल्लभ सम्प्रदाय के नाम से भी जाना जाता है. गौरतलब है कि वल्लभाचार्य भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे. श्री वल्लभाचार्य ने भगवान कृष्ण के श्रीनाथ स्वरूप की पूजा की थी, जिन्हें महाप्रभु वल्लभाचार्य के नाम से भी जाना जाता है.

जन्मः

   श्री वल्लभाचार्य का जन्म 1479 ई पू में काशी (अब वाराणसी) के एक तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उस समय चल रहे हिंदू-मुस्लिम संघर्षों के कारण उनकी माँ ने उन्हें चंपारणछत्तीसगढ़ में जन्म दिया. उन्होंने रामानुजमाधवाचार्य और अन्य के खिलाफ कई दार्शनिक बहसें जीतीं. कुछ लोगों का मानना है कि उनके पास चमत्कार करने की महान दृष्टि थी. किंवदंतियां हैं कि भगवान कृष्ण वल्लभाचार्य के माता-पिता के सपने में आए और उन्हें बताया कि उनका शिशु भगवान कृष्ण का शिशु रूप है. पूर्णिमांत चंद्र कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म वैशाख माह कृष्ण पक्ष एकादशी के दिन हुआ था, श्री वल्लभाचार्य के जन्म-दिन को ही वल्लभाचार्य जयंती के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि श्री वल्लभाचार्य जयंती और वरुथिनी एकादशी एक ही दिन मनाया जाता है.

स्वामी वल्लभाचार्य के जीवन के रोचक पहलू!

श्री वल्लभाचार्य अपने अनुयायियों में महाप्रभु नाम से भी जाना जाता है. श्री वल्लभचार्य 16वीं सदी के एक सुप्रसिद्ध वैष्णव संत थे. उनकी शिक्षाओं और दर्शन ने भारतीय धर्म और संस्कृति पर गहरा प्रभाव डाला. आइये जानते हैं, उनके जीवन के कुछ रोचक पहलुओं के बारे में इस..

शुद्धाद्वैत दर्शन: श्री वल्लभाचार्य ने शुद्धाद्वैत दर्शन की स्थापना कीजो ब्रह्म को सर्वव्यापी और जीव को ब्रह्म का ही अभिन्न अंग मानता है.

पुष्टिमार्ग: वल्लभाचार्य ने पुष्टिमार्ग संप्रदाय की स्थापना कीजो कृष्ण भक्ति पर केंद्रित है और गृहस्थों के लिए भी मुक्ति का मार्ग बताता है.

ज्ञान और भक्ति: वल्लभाचार्य ने ज्ञान और भक्ति के बीच समन्वय स्थापित किया और बताया कि ज्ञान के साथ भक्ति से भी मुक्ति का मार्ग प्राप्त किया जा सकता है.

शिक्षा और ग्रंथ: श्री वल्लभाचार्य ने कई ग्रंथों की रचना कीजिनमें श्रीमद् भागवत की सुबोधिनी टीका और गायत्री भाष्य भी शामिल हैं.

वल्लभाचार्य और सूरदास: वल्लभाचार्यसूरदास के गुरु थे और सूरदास ने वल्लभाचार्य से कृष्ण-भक्ति की शिक्षा ग्रहण की थी.

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