मथुरा में भव्य होली के बाद अब श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम मचनी शुरू हो गई है. कृष्ण की नगरी मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. यह पर्व पूरे आठ दिन चलता है. ब्रज में जहां श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पर्व की धूम होती है, वहीं गोकुल में नंदोत्सव का आनंद देखते बनता है. मंदिरों में श्रीकृष्ण का भव्य श्रृंगार शुरू हो चुका है. बताया जाता है कि इस बार गोकुल में 25 अगस्त को होने वाले नंदोत्सव पर लगभग छ सौ क्विंटल पीली दही कृष्ण भक्तों पर लुटाया जाएगा. हल्दी मिली इस पीली दही को स्थानीय भाषा में ‘लाला की छीछी’ कहा जाता है. लाला की इस छीछी का प्रसाद पाने के लिए हजारों की संख्या में भक्त यहां मौजूद रहते हैं. मान्यता है कि जिस भक्त पर भी लाला की छीछी गिरती है, वह स्वयं को धन्य मानता है. यही नहीं गोकुल के हर घरों में भी यही प्रसाद वितरित होता है.
कहीं दही तो कहीं सूखे मेवे-फलों के प्रसाद लुटाए जाएंगे
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु द्वारा श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लेने के पश्चात गोकुल पहुंच चुके थे. इसी उपलक्ष्य में गोकुल में नंदोत्सव पर्व का विशेष आयोजन किया जाता है. यहां श्रीकृष्ण जन्म की तीन दिन खूब धूम रहती है. मथुरा से प्राप्त सूत्रों के अनुसार इस वर्ष 23 अगस्त की शाम 7 बजे नंद भवन मंदिर में गोपाल कृष्ण का छठी का पूजन सम्पन्न होगा, और 24 अगस्त को पूरे दिन जन्मोत्सव की धूम रहेगी. इस उत्सव में भाग लेने के लिए हर वर्ष हजारों की संख्या में कृष्ण भक्त गोकुल पहुंचते हैं. 25 अगस्त को नंद भवन से प्रातः लगभग दस बजे कृष्ण एवं उनके भ्राता बलराम की शोभायात्रा निकलेगी. बताया जाता रहा है कि इस शोभायात्रा में लगभग छः सौ किलो सुगंधित दही का प्रसाद भक्तों पर लुटाया जायेगा. यहां आयोजकों द्वारा किये गये प्रबंधन की तारीफ करनी होगी कि बहुत ज्यादा भीड़ होने के बाद भी किसी तरह की भगदड़ नहीं मचती. दही के अलावा इस समारोह में सूखे मेवे, फल, वस्त्र एवं बिस्कुट इत्यादि भी प्रसाद के रूप में भक्तों पर लुटाया जाता है. भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसाद ग्रहण करते हैं. कहा जाता है कि यह प्रसाद जिस भी भक्त को मिलती है, उसे जीवन के अंतिम मोड़ पर मोक्ष की प्राप्ति होती है.
जगह-जगह रहेगी श्री कृष्णलीला की धूम.
संपूर्ण गोकुल में दिन के समय जहां उत्सव की धूम रहती है, वहीं सूर्यास्त के पश्चात करीब हर कृष्ण मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण लीला की प्रस्तुतियां भी की जायेंगी. इन लीलाओं में श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप तमाम लीलाओं का प्रदर्शन होता है. जिनमें प्रमुख है श्रीकृष्ण जन्म, उनका गोकुल आगमन, माता यशोदा द्वारा श्रीकृष्ण को दण्ड स्वरूप ऊखल में बांधना, श्रीकृष्ण का माता यशोदा को उलाहना देना एवं पूतना वध जिसे पूतना मोक्ष भी कहते हैं. श्रीकृष्ण की इन लीलाओं को देखने के लिए हजारों की संख्या में बच्चे, महिलाएं एवं पुरुष उपस्थित होते हैं.
रास लीलाओं का आयोजन
मान्यता है कि त्रेतायुग में मथुरा और वृंदावन में भगवान कृष्ण राधा एवं गोपियों के साथ रासलीला करते थे. मथुरा, वृंदावन और गोकुल में 4 हजार से ज्यादा मंदिर हैं. कृष्ण जन्मोत्सव के इस अवसर पर इन मंदिरों को बड़ी ही खूबसूरती से सजाया जाता है. आठ दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर हर बड़े कृष्ण मंदिरों में श्रीकृष्ण से जुड़ी रासलीलाओं और महाभारत में भगवान कृष्ण से जुड़े दृश्यों का प्रदर्शन किया जाता है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आते हैं.