17 जुलाई से श्रावण का पावन माह प्रारंभ हो रहा है. इसके साथ ही भोलेनाथ के भक्तों का हुजूम शिव मंदिरों की ओर रुख करने लगता है. कुंवारी कन्याओं एवं विवाहित महिलाओं का भगवान शिव के प्रिय दिन सोमवार से व्रतों एवं मन्नतों का सिलसिला शुरू होता. देश भर में कांवड़ियों की धूम मचनी शुरू हो जाती है. लेकिन इस वर्ष श्रावण मास कुछ शुभ संयोग भी लेकर आ रहा है. भगवान शिव को प्रसन्न कर मनवांछित फलों की प्राप्ति करें. आइए जानें क्या हैं ये शुभ संयोग...
पुरोहित रवींद्र पाण्डेय के अनुसार इस बार के श्रावण मास में 125 सालों बाद हरियाली अमावस्या के साथ ही पंच महायोग का संयोग बन रहा है. श्रावण मास की पंचमी यानी नागपंचमी का शुभ पर्व भगवान शिव के प्रिय दिन सोमवार को है. इन दोनों ही दिनों में भगवान शिव की विशेष पूजा- आराधना की जाती है. नागपंचमी के दिन चंद्र प्रधान हस्त नक्षत्र और त्रियोग का संयोग भी बन रहा है. सर्वार्थ सिद्धि योग, सिद्धि योग और रवि योग अर्थात त्रियोग के संयोग में काल सर्प दोष निवारण के लिए पूजा करना फलदाई होगा. इसी श्रावण मास में लंबे अर्से बाद 15 अगस्त के दिन चंद्र प्रधान श्रवण नक्षत्र में स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन का संयोग उपस्थित हो रहा है. स्वतंत्रता दिवस के विशेष अवसर पर जहां देश भर में बच्चों से वृद्धों तक विशेष उत्साह और उमंग का माहौल निर्मित होता है, वहीं बहनों द्वारा भाई की कलाई पर बंधी राखियों पर भी राष्ट्रीय ध्वज के रंगों का नजारा देखने को मिलेगा. स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन की रात्रि नौ बजे के बाद पंचक शुरू हो रहा है इसलिए इससे पूर्व राखी बंधवाना श्रेष्ठ होगा. श्रावण की शुरुआत (17 जुलाई) सूर्य प्रधान उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से हो रही है, इस विशेष अवसर पर विष कुंभ का योग भी निर्मित हो रहा है. इस वर्ष तीस दिन का श्रावण है और कुल चार सोमवार आएंगे, इसमें तीसरे सोमवार के दिन त्रियोग का संयोग बन रहा है, हिंदू पंचांग में इसे विशेष फलदाई वाला बताया गया है.
पहली अगस्त के दिन हरियाली अमावस्या पर पंच महायोग का संयोग भी निर्मित हो रहा है. यह सुअवसर भी लगभग 125 वर्षों बाद आ रहा है. इस एक तिथि में पहला सिद्धि योग, दूसरा शुभ योग, तीसरा गुरु पुष्यामृत योग, चौथा सर्वार्थ सिद्धि योग और पांचवां अमृत सिद्धि योग का संयोग है. इस पंच महायोग के संयोग में अपनी कुलदेवी के साथ-साथ सर्वत्र देवी-देवता एवं माता पार्वती की पूजा करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं. इस बार के श्रावण के ग्रह नक्षत्र इस बात का भी संकेत दे रहे हैं कि इस बार स्थान विशेष में टुकड़ों के साथ बारीश होगी, कहीं बहुत ज्यादा तो कहीं बहुत कम. किसानों को इस संकेत को समझते हुए अपनी फसल के लिए आवश्यक जल की व्यवस्था कर लेनी चाहिए. 20 जुलाई को शुक्र ग्रह अस्त हो रहा है, जो 22 वर्ष तक निरंतर रहेगा, इस दरम्यान किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते. चातुर्मास के दरम्यान किये जाने वाले सामान्य शुभ कार्य भी नहीं.