संभल में शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर के विवाद का मामला वर्षों से सुर्खियों में बना हुआ है. हाल ही में मस्जिद के अंदर हुए सर्वे की रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश किया गया है, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद के अंदर हिंदू धर्म से जुड़ी कई कलाकृतियां और संरचनाएं पाई गईं हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह जगह पहले एक मंदिर हुआ करती थी.
सर्वे में क्या-क्या खुलासे हुए?
सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि मस्जिद के अंदर 50 से अधिक फूलों की कलाकृतियां पाई गईं, जो हिंदू धार्मिक प्रतीकों का हिस्सा मानी जाती हैं. इसके अलावा, दो बरगद के पेड़ भी मस्जिद के अंदर पाए गए, जो सामान्यत: हिंदू मंदिरों में पूजा जाने वाले पेड़ माने जाते हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मस्जिद के अंदर एक कुआं भी है, जिसका आधा हिस्सा अंदर और आधा बाहर है, और बाहरी हिस्से को ढंक दिया गया है.
पुराने ढांचे में परिवर्तन के आरोप
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि मस्जिद के पुराने ढांचे में बदलाव किए गए हैं. विशेष रूप से गुम्बद के हिस्से को प्लेन किया गया और वहां नए निर्माण के सबूत पाए गए हैं. मस्जिद के भीतर बड़े गुम्बद पर एक झूमर लटकाया गया है, जो आमतौर पर मंदिरों में घंटी लटकाने के लिए इस्तेमाल होती है. इसके अलावा, मंदिर के शेप वाले स्ट्रक्चर पर प्लास्टर लगाया गया और पेंट किया गया, जिससे पुराने निर्माण को छिपाया गया.
विवाद और हिंसा का माहौल
19 नवंबर 2024 को सिविल कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें यह दावा किया गया था कि शाही जामा मस्जिद पहले हरिहर मंदिर हुआ करती थी. उसी दिन अदालत ने मस्जिद के अंदर सर्वे कराने का आदेश दिया था. एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव के नेतृत्व में सर्वे टीम ने 19 नवंबर को मस्जिद का सर्वे किया था, लेकिन सर्वे का काम पूरा नहीं हो सका. इसके बाद 24 नवंबर को सर्वे टीम फिर से मस्जिद पहुंची, इस दौरान भारी संख्या में लोग जमा हो गए. अचानक, भीड़ ने पुलिस टीम पर पत्थर फेंके, जिससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया. इस हिंसक घटना में पांच लोगों की मौत हो गई, और मामला और जटिल हो गया.
क्या है विवाद की जड़?
शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर का विवाद सिर्फ एक धार्मिक स्थल तक सीमित नहीं रह गया है. यह अब एक कानूनी और ऐतिहासिक विवाद बन गया है, जिसमें दोनों पक्षों के दावे एक दूसरे से टकरा रहे हैं. एक ओर जहां मस्जिद के भीतर हिंदू धर्म से जुड़ी कई कलाकृतियां पाई जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर मस्जिद के संरक्षक इसे एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल के रूप में देख रहे हैं.
इस विवाद में अदालत की भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि अदालत के फैसले से इस क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर पर असर पड़ेगा. ऐसे में इस मामले पर अब पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं.