हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को षटतिला एकादशी व्रत रखा जाता है. अन्य एकादशियों की तुलना में षटतिला एकादशी व्रत में तिल के इस्तेमाल का विशेष महत्व बताया जाता है. मान्यता अनुसार इस व्रत में तिल का इस्तेमाल नहीं करने से व्रत का उचित परिणाम नहीं मिलता है. षटतिला एकादशी के दिन तिल का 6 तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है, इसी कारण इसे षटतिला एकादशी कहते हैं. इस वर्ष षटतिला एकादशी का व्रत 6 फरवरी 2024, मंगलवार को रखा जाएगा. आइये जानते हैं षटतिला एकादशी व्रत में तिल का कब, क्यों और कैसे इस्तेमाल किया जाता है.
इस व्रत में क्यों करते हैं तिल का इस्तेमाल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार षटतिला एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा-अनुष्ठान एवं विभिन्न कर्मों में तिल का इस्तेमाल करने वाले जातकों को धन और ऐश्वर्य की कमी नहीं रहती है, और आर्थिक तंगी एवं दरिद्रता से छुटकारा मिलता है. श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि संसार में सभी जीव निरंतर कर्म करते रहते हैं, जिससे जानें-अनजाने उनसे पाप कर्म भी होते हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसे पाप कर्मों से मुक्ति के कई उपाय बताये गए हैं, इसी में एक उपाय है माघ कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली षटतिला एकादशी. शास्त्रों में कहा गया है कि षटतिला एकादशी का व्रत रखने और इसमें स्नान-दान, खान-पकाने और पूजा पाठ से लेकर कई तरह से तिल का उपयोग करना श्रेष्ठ रहता है, इससे व्यक्ति के पाप कर्मों का नाश होता है. षट्तिला एकादशी पर निम्न छह तरीके से तिल का उपयोग अवश्य करना चाहिए. यह भी पढ़ें : Mahatma Gandhi Punyatithi 2024 Quotes: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर उनके इन 10 महान विचारों को शेयर कर दें बापू को श्रद्धांजलि
तिल के तेल से करें मालिश
षटतिला एकादशी को स्नान से पूर्व तिल के तेल या तिल से तैयार उबटन से मालिश करने से शुभता तो प्राप्त होगी, साथ ही सर्दी-जुकाम के साथ कई रोगों से भी मुक्ति मिलेगी.
तिल से करें स्नान
तिल तेल से मालिश करने के बाद नहाने वाले पानी में गंगाजल के साथ थोड़ा-सा तिल मिला लें. इसी पानी से स्नान करें, इससे आध्यात्मिक ऊर्जा का विकास होगा, और रोग-दोष से मुक्ति मिलती है.
तिलोदक
तिलोदक यानी पंचामृत में तिल मिलाकर भगवान विष्णु को स्नान कराएं, साथ ही पितरों का तर्पण करते समय भी काला तिल जरूर मिलाएं, ऐसा करने से भगवान विष्णु के साथ पितरों का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा.
काले तिल से हवन
षटतिला एकादशी को पूजा-अनुष्ठान करते समय हवन सामग्री में काला तिल मिलाकर हवन करें. ऐसा करने से आर्थिक लाभ मिलता है, एवं जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं. अगर माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त करनी है तो सफेद तिल से हवन करना चाहिए. इससे आय में आ रही सारी रुकावटें दूर होती है, और धन की कभी कमी नहीं होती है.
तिल का सेवन
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तिल-गुड़ से बने लड्डू, चिक्की का प्रसाद बनाकर चढ़ाएं और इसका सेवन करने से ग्रहों की बुरी स्थिति से मुक्ति मिलती है.
तिल का दान
षटतिला एकादशी पर स्नान-ध्यान के पश्चात तिल का दान अवश्य करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार तिल का दान करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है, और मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. कुंडली में शनि की उपस्थिति में राहत महसूस होती है, एवं पितृ प्रसन्न होते हैं.
षटतिला एकादशी 2024 पर शुभ योग
षटतिला एकादशी वाले दिन सूर्योदय से 08.50 AM बजे तक व्याघात योग है, उसके बाद हर्षण योग लग रहा है, जो अगले दिन यानी 7 फरवरी को 06.09 AM तक है. इसी दिन ज्येष्ठा नक्षत्र भी सूर्योदय से 07.35 AM तक रहेगा. इन्हीं योग की उपस्थिति में पूजा करें,