हिंदू पंचांग के अनुसार सावन कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन सावन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. चूंकि यह माह भगवान शिव को समर्पित होता है, इसलिए इस व्रत को अत्यंत शुभ माना जाता है. वस्तुतः साल में 12 शिवरात्रियां पड़ती हैं, जिसमें फाल्गुन मास के शिवरात्रि जिसे महाशिवरात्रि कहते हैं औऱ सावन माह की शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि कहते हैं. इस वर्ष सावन शिवरात्रि 26 जुलाई 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन नियम एवं विधि-विधान से शिवजी का व्रत एवं पूजा किया जाये तो भगवान शिव की कृपा से जातक के सारे कष्ट एवं पाप मिट जाते हैं, उसके जीवन में सुख-शांति एवं समृद्धि आती है. आइये जानें क्या है सावन माह के शिवरात्रि का महत्व, व्रत-पूजा के नियम, मुहूर्त एवं महात्म्य.
श्रावण शिवरात्रि का महात्म्य!
हिंदू धर्म शास्त्रों में सावन माह की शिवरात्रि का विशेष महात्म्य उल्लेखित है. इसका वर्णन शिव पुराण, नारद पुराण, लिंग पुराण सहित कई स्थापित धर्म ग्रंथों में भी मिलता है. मान्यतानुसार सावन के शिवरात्रि के दिन शिवजी की सच्ची निष्ठा से व्रत रखने वाले जातकों को पूरे साल शिव भक्ति का पुण्य फल प्राप्त होता है. कोई व्यक्ति इस दिन अनजाने में शिवजी की व्रत-पूजा कर ले, तो उसके सारे कष्ट मिट जाते हैं. सावन शिवरात्रि व्रत के नियमों एवं पूजा-विधियों का पालन करने से शांति, रक्षा, सौभाग्य, एवं आरोग्य की प्राप्ति होती है. अगर सावन के सभी सोमवार के व्रत के बजाय सावन शिवरात्रि का व्रत करने से भी चारों सोमवार का व्रत-पुण्य प्राप्त होता है.
सावन शिवरात्रि 26 जुलाई 2022, मंगलवार शुभ मुहूर्त!
सावन चतुर्दशी प्रारंभः 06.46 P.M. (26 जुलाई, 2022)
सावन चतुर्दशी समाप्तः 09.11. P.M. ( 27 जुलाई,2022)
शिवजी की पूजा का सर्वोत्तम मुहूर्त!
07.24 P.M. से 09.28 P.M.तक (26 जुलाई 2022)
श्रावण शिवरात्रि व्रत के नियम
सावन शिवरात्रि का व्रत रखने वाले जातक को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए पूरे दिन फलाहार व्रत रखते हैं. इसमें किसी भी प्रकार के नमक का सेवन नहीं किया जा सकता. अगर आप व्रत नहीं हैं तब भी गेहूं, चावल, बेसन एवं मैदा आदि से बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए. व्रती व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिए, वरना व्रत का सुफल नहीं मिलता. व्रती व्यक्ति को किसी से भी अपशब्द, विवाद आदि नहीं करना चाहिए. इस व्रत का एक विशेष नियम यह भी है कि विशेष परिस्थितियों में सावन शिवरात्रि की रात 01.15 बजे के बाद समय पारण कर सकते हैं. लेकिन सामान्य परिस्थितियों में व्रती को सूर्यास्त के बाद दो घंटे के भीतर पारण करना चाहिए.
सावन शिवरात्रि की पूजा विधि!
सावन शिवरात्रि के दिन प्रातःकाल उठकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर शिवजी के व्रत-पूजा का संकल्प लें. घर के मंदिर में भगवान शिव एवं उनके परिवार की प्रतिमा के समक्ष धूप-दीप प्रज्वलित करें. मंदिर के सभी देवी-देवताओं का पहले गंगाजल से फिर पंचामृत से अभिषेक करें. शिवजी सफेद पुष्प, सफेद चंदन, विल्व पत्र, बेर, धतूरा इत्यादि अर्पित करें. अब शिवजी को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं एवं शिव जी की आरती उतारें. घर की पूजा सम्पन्न करने के पश्चात निकट के शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध, दही. शुद्ध घी, शक्कर, शहद से बने पंचामृत से अभिषेक करें. तत्पश्चात गंगाजल, चढ़ाएं. इसके बाद विल्व-पत्र, धतूरा, सफेद पुष्प, सफेद चंदन, भस्म, इत्र, जनेऊ अर्पित करें.