कहते हैं कि इस संसार में जिसने भी जन्म लिया है एक न एक दिन उसकी मृत्यु निश्चित है और यह एक अटल सत्य है जिसे कोई नहीं बदल सकता. यही वजह है कि पृथ्वी लोक को धार्मिक नजरिए से मृत्यु लोक भी कहा जाता है. यह सच है कि मौत को कोई नहीं टाल सकता है और इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रामायण (Ramayana) और महाभारत (Mahabharata) काल के कुछ ऐसे दिव्य महापुरुष (Divine Great Men) भी हैं जो आज भी जीवित हैं, क्योंकि उन्हें अमरता (immortal) का वरदान मिला था.
चलिए जानते हैं महाभारत और रामायण काल के ऐसे 8 देहधारी महापुरुषों के बारे में जो युगों के बदलाव के बाद भी हजारों सालों से जीवित हैं. हिंदू धर्म में इन महान और अमर आत्माओं को चिरंजीवी बताया गया है.
1- भगवान हनुमान
भगवान रुद्र के 11वें अवतार और मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की महिमा से हर कोई वाकिफ है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी आज भी सशरीर जीवित हैं. जी हां, हनुमान जी को अमर होने का वरदान मिला है जिसके कारण वो आज भी चिरंजीवी हैं. यह भी पढ़ें: अहंकारी रावण को इन 5 लोगों ने दिया था श्राप, जिसके कारण श्रीराम के हाथों हुआ उसका सर्वनाश
2- भगवान परशुराम
भगवान विष्णु के दशावतारों में से एक माने जाते हैं भगवान परशुराम. मान्यताओं के अनुसार, उन्होंने पृथ्वी से 21 बार निरंकुश और अधर्मी क्षत्रियों का अंत किया था. कहा जाता है कि परशुराम को भी अमर होने का वरदान प्राप्त है.
3- अश्वत्थामा
महाभारत काल के वीर योद्धा अश्वत्थामा कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के सुपुत्र थे. अश्वत्थामा परम तेजस्वी थे जो अपनी दिव्य शक्तियों का उपयोग करने में माहिर थे. शास्त्रों के अनुसार अश्वस्थामा आज भी जीवित हैं.
4- ऋषि मार्कंडेय
ऋषि मार्कंडेय भगवान शिव के परम भक्त थे. उन्होंने भगवान शिव की भक्ति और महामृत्युंजय मंत्र की सिद्धि से अपनी अल्पायु को टाल दिया और युग-युगांतर के लिए चिरंजीवी बन गए.
5- भगवान वेद-व्यास
मान्यताओं के अनुसार, भगवान वेद व्यास जी ने चार वेदों ऋगवेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद का संपादन किया था और वे 18 पुराणों के रचनाकार भी माने जाते हैं. कहा जाता है वेद व्यास जी भी उन दिव्य महापुरुषों में शामिल हैं, जिन्हें अमर होने का वरदान प्राप्त है. यह भी पढ़ें: Parshuram Jayanti 2019: भगवान परशुराम के क्रोध से कांपते थे समस्त देवता, लेकिन वे अपने शिष्य पितामह भीष्म को नहीं कर पाए पराजित
6- राजा बलि
राजा बलि भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद के वंशज माने जाते हैं, जिन्होंने भगवान वामन को अपना सब कुछ दान कर दिया था. राजा बलि की दानशीलता से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनका द्वारपाल बनना स्वीकार किया था. शास्त्रों की मान्यताओं के अनुसार, राजा बलि आज भी जीवित हैं.
7- विभिषण
विभिषण लंकापति रावण के छोटे भाई थे, जिन्होंने रावण की अधर्मी नितियों का न सिर्फ विरोध किया, बल्कि रामायण काल में युद्ध के दौरान मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का साथ भी दिया. कहा जाता है कि विभिषण भी चिरंजीवी महापुरुषों में से एक हैं.
8- कृपाचार्य
महाभारत काल के तपस्वी ऋषि कृपाचार्य कौरवों और पांडवों के गुरु थे. परम तपस्वी होने के साथ-साथ कृपाचार्य युद्ध नीति में भी पारंगत थे. हिंदू धर्म के शास्त्रों में कृपाचार्य को अमर बताया गया है जो आज भी जीवित हैं. यह भी पढ़ें: Hanuman Jayanti 2019: आज भी सशरीर जीवित हैं बजरंगबली, जानिए किस स्थान पर कर रहे हैं निवास
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रामायण और महाभारत काल के ये सभी दिव्य पुरुष हजारों सालों से जीवित हैं. इनकी संख्या आठ है इसलिए इन्हें अष्ट चिरंजीवी कहा जाता है.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.