Parshuram Jayanti 2019: भगवान परशुराम के क्रोध से कांपते थे समस्त देवता, लेकिन वे अपने शिष्य पितामह भीष्म को नहीं कर पाए पराजित
परशुराम जयंती (Photo Credits: Twitter)

Parshuram Jayanti 2019: देशभर में आज यानी 7 मई को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya)  के साथ-साथ परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) का पर्व भी मनाया जा रहा है. हर साल अक्षय तृतीया के दिन ही परशुराम जयंती मनाई जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, परशुराम भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के छठे अवतार हैं और उनका जन्म अक्षय तृतीया के दिन ही हुआ था. हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में परशुराम (Parshuram) से जुड़ी कई कहानियां मिलती हैं. कहा जाता है कि परशुराम तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष होने के साथ-साथ बहुत क्रोधी भी थे. उनके क्रोध से चारों दिशाएं कांपती थी और समस्त देवी-देवता भयभीत रहा करते थे.

भगवान परशुराम का जन्म ऋषि जमदग्नि के घर हुआ था और उनकी माता का नाम रेणुका था. परशुराम को ऐसे 8 चिरंजीव देवता व महापुरुषों में एक माना जाता है जो अमर हैं और आज भी जीवित हैं. परशुराम जयंती के इस पावन अवसर पर चलिए जानते हैं कि कैसे गुस्से में आकर परशुराम ने भगवान गणेश का एक दांत फरसे से काट दिया था और जिनसे समस्त देवता भयभीत रहते थे वो आखिर अपने शिष्य पितामह भीष्म को पराजित क्यों नहीं कर पाए?

फरसे से काट दिया था भगवान गणेश का एक दांत

जगत के पालनहार भगवान विष्णु के छठ अवतार कहे जाने वाले भगवान परशुराम के क्रोध से सभी देवी-देवता भयभीत रहते थे और उनके क्रोध से स्वयं भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र गणेश भी नहीं बच पाए. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, एक बार अपने आराध्य भगवान शिव के दर्शन की कामना मन में लिए परशुराम कैलाश पहुंचे, लेकिन शिव जी ध्यान में लीन थे. ऐसे में गणेश जी ने उन्हें शिव जी से मिलने नहीं दिया. यह भी पढ़ें: Parshuram jayanti 2019: जब भगवान परशुराम ने पिता के कहने पर किया अपनी ही माता का सिर धड़ से अलग, जानिए यह दिलचस्प पौराणिक कथा

कहा जाता है कि इस बात से क्रोधित होकर उन्होंने वरदान स्वरुप भगवान शिव से मिले फरसे से गणेश जी पर वार कर दिया. गणेश जी उस फरसे का वार खाली नहीं जाने देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपने एक दांत पर उसका वार झेल लिया. परशुराम के फरसे के प्रहार के कारण उनका एक दांत टूट गया, इसलिए उन्हें एकदंत भी कहा जाता है.

अपने शिष्य भीष्म को नहीं कर पाए पराजित

परशुराम एक तेजस्वी, ओजस्वी और वर्चस्वी महापुरुष थे, जिन्हें इस संसार में कोई परास्त नहीं कर सकता था, लेकिन वो अपने शिष्य भीष्म को पराजित नहीं कर पाए थे. महाभारत के अनुसार, पितामह भीष्म परशुराम के शिष्य थे. प्रचलित कथा के अनुसार, भीष्म ने काशीराज की बेटियों अंबा, अंबिका और अंबालिका को अपने छोटे भाई विचित्रवीर्य से विवाह कराने के लिए हरण कर लिया था, लेकिन जब अंबा ने बताया कि वो राजा शाल्व से प्रेम करती है तो भीष्म ने उसे छोड़ दिया. जब अंबा शाल्व के पास पहुंची तो उसने अंबा को स्वीकार नहीं किया.

कहा जाता है कि जब अंबा ने परशुराम को इस घटना के बारे में बताया, तो उन्होंने भीष्म को अंबा से विवाह करने के लिए कहा. दरअसल, भीष्म ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने की प्रतिज्ञा की थी, इसलिए उन्होंने इस विवाह से इंकार कर दिया. इसके बाद परशुराम और पितामह भीष्म के बीच युद्ध हुआ. आखिर में पितरों की बात मानकर परशुराम ने अपने अस्त्र रख दिए और इस युद्ध में न तो परशुराम की जीत हुई और न हीं पितामह भीष्म की हार. यह भी पढ़ें: Akshaya Tritiya 2019: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर भगवान विष्णु ने धरती पर लिए थे ये 3 अवतार, जानें उनकी महिमा

21 बार किया था धरती को क्षत्रिय विहिन

प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार महिष्मती देश का राजा कार्तवीर्य अर्जुन युद्ध जीतकर जमदग्नि ऋषि के आश्रम में विश्राम करने के लिए अपनी सेना के साथ रुक गया. उसने देखा कि कामधेनु गाय ने बड़ी ही सहजता से पूरी सेना के लिए भोजन की व्यवस्था कर दी तो उसके बछड़े को वो बलपूर्वक अपने साथ ले गया. जब इसकी खबर परशुराम को लगी तो उन्होंने कार्तवीर्य अर्जुन की सहस्त्र भुजाएं काट दी और उसका वध कर दिया.

कार्तवीर्य अर्जुन की मौत का बदला उसके बेटों ने जमदग्नि ऋषि का वध करके लिया. क्षत्रियों द्वारा अपने पिता का वध किए जाने पर परशुराम बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने कार्तवीर्य अर्जुन के सभी बेटों का वध कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने उन सभी क्षत्रिय राजाओं का वध किया जिन्होंने जमदग्नि ऋषि का वध करवाने में साथ दिया था. इस तरह से 21 बार परशुराम ने धरती को क्षत्रिय विहिन कर दिया था.

नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.