Parshuram jayanti 2019: 7 मई 2019 को देश भर में अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) का पर्व मनाया जाएगा. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया कहते हैं और इस तिथि को बेहद शुभ व सौभाग्यदायक माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन पवित्र नदी में स्नान, जप, तप और दान जैसे कर्म करने से कभी न नष्ट होने वाले अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. अक्षय तृतीया का दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि इसी दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के धरती पर 3 अवतार हुए थे. इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम (Bhagwan Parshuram) की जयंती भी मनाई जाती है.
मान्यताओं के अनुसार, कलयुग में ऐसे 8 चिरंजीव देवता और महापुरुष मौजूद हैं जो अमर हैं. इन्हीं में से एक हैं भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम. परशुराम ने 21 बार धरती को क्षत्रिय विहिन कर दिया था और उन्होंने क्रोध में भगवान गणेश का सिर काट दिया था. इतना ही नहीं परशुराम ने अपने पिता के कहने पर अपनी ही माता के सिर को धड़ से अलग कर दिया था. आखिर उन्होंने ऐसा क्यों किया? परशुराम जयंती (Parshuram Jayanti) के इस खास मौके पर चलिए जानते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा.
परशुराम नाम इस शस्त्र के कारण मिला
भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम ऋषि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र थे. कहा जाता है जब परशुराम छोटे थे तो बहुत ज्ञानी थे और सारी बातों को झट से सीख जाते थे. परशुराम भगवान शिव के परम भक्त थे और घोर तपस्या के बाद उन्हें शिव जी से परशु शस्त्र प्राप्त हुआ था. इस शस्त्र के मिलने के बाद ही उनका नाम परशुराम पड़ा.
पिता की आज्ञा का करते थे पालन
परशुराम बचपन से ही अपने पिता ऋषि जमदग्नि की आज्ञा का पालन करते थे. उनके लिए उनके पिता की हर बात पत्थर के लकीर के समान थी. उन्हें ब्राह्मणक्षत्रिय भी कहा जाता है, क्योंकि उनके पिता ब्राह्मण और उनकी माता क्षत्रिय थीं. भगवान शिव से परशु मिलने के बाद उन्हें इस धरती पर हरा पाना किसी के लिए भी असंभव कार्य था. यह भी पढ़ें: Akshaya Tritiya 2019: अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर भगवान विष्णु ने धरती पर लिए थे ये 3 अवतार, जानें उनकी महिमा
परशुराम ने काट दिया माता का सिर
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, एक बार ऋषि ने अपनी पत्नी रेणुका को पानी भरकर लाने के लिए कहा. एक स्त्री होने के नाते रेणुका का मन थोड़ा विचलित था, जिसके कारण पानी का घड़ा टूट गया और सारा पानी ऋषि पर जा गिरा. इससे क्रोधित होकर ऋषि ने अपने पुत्र परशुराम को बुलाया. इसके बाद उन्होंने परशुराम को अपनी माता का सिर धड़ से अलग कर देने का आदेश दिया. पिता की आज्ञा का पालन करते हुए परशुराम ने परशु से अपनी माता का सिर धड़ से अलग कर दिया.
इससे प्रसन्न होकर ऋषि ने उनसे वरदान मांगने के लिए कहा, इस पर परशुराम ने अपने पिता से अपनी माता को फिर से जीवित करने का वरदान मांगा और सिर धड़ से अलग करने के समय की उनकी स्मृति को खत्म करने के लिए कहा. ऋषि जमदग्नि ने अपनी दिव्य शक्तियों से पत्नी रेणुका को फिर से जीवित कर दिया.
नोट- इस लेख में दी गई तमाम जानकारियों को प्रचलित मान्यताओं के आधार पर सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है और यह लेखक की निजी राय है. इसकी वास्तविकता, सटीकता और विशिष्ट परिणाम की हम कोई गारंटी नहीं देते हैं. इसके बारे में हर व्यक्ति की सोच और राय अलग-अलग हो सकती है.