Sharad purnima 2021: कब है शरद पूर्णिमा? इस दिन होनेवाली अमृत वर्षा का क्या है रहस्य? जानेँ इसी दिन  थी श्रीकृष्ण ने रासलीला!
Sharad Purnima Wishes 2021 (Photo Credits: File Image)

सनातन धर्म में अश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है. इस दिन को कोजागरी एवं राज पूर्णिमा भी कहते हैं. हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का काफी महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत वर्षा होती है. ऐसा भी कहा जाता है, कि इसी दिन श्रीकृष्ण ने रास लीला रचाई थी. इस साल 19 अक्टूबर दिन मंगलवार को शरद पूर्णिमा मनाई जाएगी.यह भी पढ़े: Papankusha Ekadashi Vrat 2021: पापांकुशा व्रत रखने से मिलती है, सारे पापों से मुक्ति! जानें व्रत का महात्म्य, पूजा विधि एवं व्रत कथा!

अमृत वर्षा का रहस्य!

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक चंद्रमा सिर्फ शरद पूर्णिमा के ही दिन सोलह कलाओं से युक्त होता है. इस दिन उसकी सुंदरता कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है. मान्यता है कि इस दिन आसमान से अमृत की वर्षा होती है. इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है. इसी दिन से वातावरण सर्द होना शुरू हो जाता है, यानी शीत ऋतु की शुरुआत हो जाती है. खगोल शास्त्र के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे करीब होता है. पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की दूधिया रोशनी धरती को सफेद रोशनी से नहलाती है. पृ्थ्वी अमृत तुल्य हो जाती है.

शरद पूर्णिमा की खीर और वैज्ञानिक तथ्य!

शरद पूर्णिमा की पूरी रात खुले आसमान के नीचे खीर रखने और सुबह-सवेरे उसके सेवन की पुरानी प्रथा है. लेकिन यह महज एक प्रथा ही नहीं है, इसके पीछे कुछ वैज्ञानिक तर्क भी हैं. वैज्ञानियों के अनुसार दूध में प्रचुर मात्रा में लैक्टिक एसिड पाया जाता है. चंद्रमा की दूधिया रोशनी दूध में पहले से मौजूद बैक्टीरिया को और ज्यादा बढ़ाता है. वहीं खीर में प्रयोग किया हुआ चावल इस प्रक्रिया को आसान कर देते हैं. पके हुए चावल में मौजूद स्टार्च इस कार्य में मदद करता है. विज्ञानियों के अनुसार चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है, इसलिए खीर को चांदी के बर्तन में रखना ज्यादा प्रभाव कारी साबित हो सकता है. चूंकि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी सबसे तेज होती है. इसीलिए शरद पूर्णिमा की रात खुले आसमान में खीर रखना सेहत के लिए बहुत लाभकारी होता है.

श्रीकृष्ण ने रचाई थी महारास लीला!

पौराणिक कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात जब चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है, तो इसी दूधिया रोशनी में भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग महारास लीला रचाई थी. इस दिन चंद्रमा की विशेष पूजा अर्चना की परंपरा भी निभाई जाती है. बहुत-सी जगहों पर माता लक्ष्मी एवं श्रीहरि की भी पूजा का विधान है. मान्यतानुसार शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूरे विधि-विधान से पूजा करने से धन संबंधी समस्याएं दूर हो जाती है, और जीवन खिल उठता है.