Paush Purnima 2021: कब है पौष पूर्णिमा, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत कथा, महत्व और पूजा विधि
पौष पूर्णिमा, गंगा स्नान (Photo Credits: Facebook)

Paush Purnima 2021: पौष पूर्णिमा (Paush Purnima 2021) हिंदुओं के लिए भी महत्वपूर्ण दिन है जो हिंदू कैलेंडर में पौष के महीने में पूर्णिमा तिथि (पूर्णिमा के दिन) पर पड़ता है. इस दिन हजारों भक्त पवित्र गंगा और यमुना नदियों में स्नान करते हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर में पौष पूर्णिमा दिसंबर-जनवरी के महीनों में मनाई जाती है. पौष पूर्णिमा के अवसर पर, प्रयाग संगम (नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम) पर हिंदू श्रद्धालु दूर-दूर से पवित्र डुबकी लगाने आते हैं.

पौष पूर्णिमा को पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू मंदिरों में विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं. कुछ स्थानों पर, पौष पूर्णिमा को शाकम्बरी जयंती ’के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन देवी शाकंभरी (देवी दुर्गा का एक अवतार) की पूजा किया जाता है. नौ दिनों तक चलने वाले शाकंभरी नवरात्रि उत्सव का समापन भी पौष पूर्णिमा से होता है. छत्तीसगढ़ में लोग इस दिन 'चरता ’त्योहार मनाते हैं. यह एक महत्वपूर्ण फसल त्योहार है जिसे आदिवासी समुदायों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: माघ मास: इस महीने जप, तप और स्नान का होता है विशेष महत्व, इस दौरान हर किसी को करने चाहिए ये काम

पौष पूर्णिमा तिथि व शुभ मुहूर्त:

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 28 जनवरी 2021 गुरुवार को 01 बजकर 18 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 29 जनवरी 2021 शुक्रवार की रात 12 बजकर 47 मिनट तक.

पौष पूर्णिमा का महत्व:

वैदिक ज्योतिष और हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पौष भगवान सूर्य का महीना माना जाता है. इस दिन पवित्र नदियों में डूबकी लगाने के बाद सूर्य को जल देने से मोक्ष मिलता है, यही कारण है कि इस दिन, बड़ी संख्या में भक्त पवित्र स्नान करते हैं और जल चढ़ाते हैं. चूँकि यह सूर्य और पूर्णिमा का महीना चंद्रमा की तिथि के रूप में कहा जाता है, इसलिए पौष पूर्णिमा पर सूर्य और चंद्रमा के रहस्यवादी संयोजन को देखा जा सकता है. इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों की पूजा करने से आशीर्वाद मिलता है और इच्छाएं पूरी होती हैं.

पौष पूर्णिमा व्रत पूजा विधि:

1. पवित्र स्नान करने से पहले उपवास के लिए संकल्प लें.

2. पवित्र नदी, कुएं या कुंड में डुबकी लगाने से पहले वरुण देव का नाम लेकर सिर झुकाएं.

3. मंत्रों का जाप करते हुए भगवान सूर्य को पवित्र जल चढ़ाएं.

4. उसके बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करें और उन्हें पवित्र भोग या नैवेद्य अर्पित करें.

5. किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर दान करें.

6. लड्डू, गुड़ या ऊनी कपड़े और कंबल जैसी चीजें दान करनी चाहिए.

ऐसा माना जाता है कि इस दिन पवित्र नदियों में डूबकी लगाने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. प्रयाग के अलावा लोग नासिक, वाराणसी, उज्जैन, हरिद्वार आदि प्रमुख तीर्थ स्थान हैं जहां डूबकी लगाने जाते हैं.