Pradosh Vrat 2023: आरोग्य एवं दीर्घायु के लिए करें रवि-प्रदोष का व्रत एवं पूजा! जानें इसका महत्व, मंत्र, मुहूर्त एवं पूजा विधि!
प्रदोष व्रत 2023 (Photo Credits: File Image)

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके उपासक साल के सभी 24 प्रदोष व्रत रखते हैं. दिन (वार) के अनुसार प्रत्येक प्रदोष व्रत का अलग-अलग महत्व होता है. दिसंबर मास का यह पहला प्रदोष व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है, ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार रविवार को पड़ने वाले प्रदोष को रवि प्रदोष कहते हैं. रवि प्रदोष का व्रत रखने से जातक स्वस्थ और दीर्घायु होता है. संयोगवश इस माह दोनों ही प्रदोष रविवार के दिन पड़ रहे हैं. इस दृष्टि से सेहत संबंधी समस्याओं से जूझ रहे लोगों के लिए लाभकारी माना जा सकता है. रवि प्रदोष के दिन शिवलिंग का अभिषेक और अनुष्ठान करने का विधान है. दिसंबर का पहला प्रदोष 10 दिसंबर 2023 को पड़ रहा है.

रवि प्रदोष व्रत का महत्व

रवि प्रदोष व्रत का संयोग तमाम दोषों को दूर करता है, इस व्रत एवं पूजा-अनुष्ठान को विधि-विधान से करने से व्यवसाय एवं आय में तरक्की होती है. आयु में वृद्धि होती है और जो लोग आये दिन बीमारी का शिकार होते हैं, उन्हें प्रदोष काल यानी सूर्यास्त होने से 45 मिनट के भीतर रवि प्रदोष व्रत अवश्य कर लेनी चाहिए. इस काल में शिव साधना करने से जातक की सारी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती है. यह भी पढ़ें : Dr BR Ambedkar Mahaparinirvan Din 2023: छात्र ही नहीं शिक्षक जीवन में भी छुआछूत के शिकार बने थे बाबा साहेब! जानें उनके जीवन के कुछ प्रेरक प्रसंग!

रवि प्रदोष व्रत (10 दिसंबर 2023) का मुहूर्त

मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी प्रारंभः 07.13 AM (10 दिसंबर 2023)

मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी समाप्तः 07.10 AM (11 दिसंबर 2023)

प्रदोष व्रत एवं पूजा प्रदोष काल में किये जाने का विधान है, इसलिए 10 दिसंबर 2023 को प्रदोष व्रत एवं पूजा करनी चाहिए.

पूजा का शुभ मुहूर्तः 05.24 PM (10 दिसंबर 2023) से 08.08 AM तक

प्रदोष व्रत कथा एवं पूजा विधि

प्रदोष के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान कर नये वस्त्र पहनें. शिव-पार्वती का ध्यान कर व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. गौरतलब है कि प्रदोष की पूजा संध्याकाल में की जाती है. संध्याकाल में पुनः स्नान करें. शिव एवं पार्वती को पहले पंचामृत फिर गंगाजल से स्नान कराएं. धूप-दीप प्रज्वलित करें. शिवलिंग पर विल्व-पत्र, फल, फूल अर्पित करें. शिव आरोग्य मंत्र का उच्चारण करें.

माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा।

आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।।

ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।

अब शिवजी एवं देवी पार्वती को पान, सुपारी, लौंग, इलायची, इत्र एवं दूध से बनी मिठाई चढ़ाएं. शिव स्तुति मंत्र पढ़ें

द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि।

उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।

शिव चालीसा का पाठ करें. अंत में भगवान शिव की आरती उतारें. पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें और स्वयं सेवन करें.