Parakram Diwas 2024: भारत का इतिहास तमाम साहसी और शूरवीरों की गाथाओं से भरा पड़ा है. ब्रिटिश हुकूमत से आजादी की लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस की बहादुरी और साहस के भी ढेर सारे किस्से पढ़ने को मिलते हैं. ‘नेताजी’ के नाम से प्रख्यात सुभाष चंद्र बोस के नाम से ही अंग्रेज अधिकारी थर-थर कांपते थे. आजादी से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य दर्शाते हैं, कि अंग्रेज़ी हुकूमत सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज की बढ़ती शक्ति से घबराती थी, लेकिन उनके अचानक गुम होने के बाद अंग्रेजों ने राहत की सांस ली. सुभाष चंद्र बोस की 127वीं जयंती के अवसर पर आइये जानते हैं उनकी जयंती को 'पराक्रम दिवस' कब और क्यों दिया गया.
‘पराक्रम दिवस’ का इतिहास!
'नेताजी' उर्फ सुभाष चंद्र बोस कभी किसी परिचय के मोहताज नहीं रहे हैं. ब्रिटिश हुकूमत से भारत को आजादी दिलाने में सुभाष चंद्र बोस का अप्रतिम योगदान रहा है. उनके इसी योगदान को देखते हुए साल 2021 में उनकी 125वीं जयंती के अवसर पर तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस दिन को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का निश्चय किया.
ऐसे गांधी से मोह टूटा नेताजी का
साल 1939 में कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव था, नेताजी ऐसे व्यक्ति को अध्यक्ष चाहते थे, जो कड़े फैसले ले. योग्य व्यक्ति नहीं मिलने पर अध्यक्ष के लिए उन्होंने अपना नाम आगे कर दिया, लेकिन गांधीजी उन्हें अध्यक्ष पद पर नहीं देखना चाहते थे. उन्होंने नेता जी के अपोजिट सीतारमैया को खड़ा किया. नेता जी स्पष्ट बहुमत से जीत भी गये, मगर गांधीजी के दबाव के आगे सुभाष चंद्र बोस 29 अप्रैल 1939 को कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर 22 जून 1939 को ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की.
खौफ खाते थे अंग्रेज नेता जी के नाम से!
नेताजी ने अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 'आजाद हिंद फौज' की स्थापना की, और एक नारा बुलंद किया, 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा'. बताया जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सेना के जांबाज सिपाहियों के उत्कृष्ट प्रदर्शन से प्रभावित होकर नेताजी ने उन्हीं सैनिकों को आजाद हिन्द फौज में शामिल होने के लिए प्रेरित किया. अंग्रेजी हुकूमत ने बाद में माना कि अगर उन्होंने भारत को स्वेच्छा से स्वतंत्र घोषित नहीं किया होता तो नेताजी की आजाद हिन्द फौज बलपूर्वक भारत को आजाद करवा लेती. आजाद हिंद फौज भारत के लोगों के लिए एकता और वीरता का प्रतीक बन गया था.
नेता जी ने फॉरवर्ड ब्लॉक क्यों गठित की?
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद नेता जी ने फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की. नेता जी पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाकर कांग्रेस से उन्हें अलग कर दिया गया. अब फॉरवर्ड ब्लॉक एक स्वतंत्र पार्टी बन चुकी थी, सेकेंड वर्ल्ड वॉर शुरू होने से पूर्व ही फॉरवर्ड ब्लॉक ने स्वतंत्रता संग्राम को और अधिक तीव्र करने के लिए जन जागृति का सिलसिला शुरू कर दिया.
नेताजी की संदेहास्पद मृत्यु
अगस्त 1945 में ताइवान में एक विमान दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हो गई. उनकी मृत्यु की सटीक परिस्थितियां आज भी रहस्य के घेरे में है. कुछ लोगों का मानना है कि उन्होंने संभवतया अपनी ही मृत्यु का स्वांग रचा तो कुछ लोगों का कहना है कि उनका अपहरण कर लिया गया. फिलहाल नेताजी के करिश्माई व्यक्ति थे, अपने देश की आजादी के प्रति कृतसंकल्प थे. वे वास्तव में महान पराक्रमी व्यक्ति थे.