Subhash Chandra Bose Jayanti 2024 Quotes: ब्रिटिश सरकार की गुलामी से देश को आजादी दिलाने में भारत मां के कई वीर सपूतों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिनमें से एक हैं नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose). जी हां, देश को आजादी दिलाने में जितना योगदान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का माना जाता है, उतना ही योगदान नेताजी सुभाष चंद्र बोस का भी रहा है. नेताजी का जन्म 23 जनवरी 1897 को कटक में हुआ था, इसलिए हर साल 23 जनवरी को उनकी जयंती (Subhash Chandra Bose Jayanti) मनाई जाती है, जिसे पराक्रम दिवस के तौर पर भी सेलिब्रेट किया जाता है. उन्होंने 1919 में 'भारत छोड़ो आंदोलन' में हिस्सा लिया था. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान उन्होंने 'आजाद हिंद फौज' का गठन कर, अंग्रेजों के खिलाफ जंग का ऐलान किया. बताया जाता है कि भारतीय सिविल सेवा में चयन होने के बावजूद उन्होंने 1921 में इससे इस्तीफा दे दिया और कैंब्रिज से भारत लौट आए, फिर उन्होंने देश सेवा में अपना जीवन समर्पित करने का प्रण लिया.
देश सेवा की भावना से प्रेरित होकर ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों की नौकरी छोड़ दी. देश के युवाओं में जोश और देशभक्ति की भावना जगाने के लिए उन्होंने 'तुम मुझे खून दो-मैं तुम्हे आजादी दूंगा', 'जय हिंद- जय भारत' और 'दिल्ली चलो' जैसे कई नारे दिए. ऐसे में सुभाष चंद्र बोस जयंती के इस खास अवसर पर आप नेताजी के इन 10 क्रांतिकारी विचारों को प्रियजनों संग शेयर कर इसकी बधाई दे सकते हैं.
1- अपनी ताकत पर भरोसा करो, उधार की ताकत तुम्हारे लिए घातक है.
2- अगर कभी झुकने की नौबत आ जाए तब भी वीरों की तरह झुकना.
3- जिसके अंदर 'सनक' नहीं होती, वह कभी महान नहीं बन सकता.
4- आशा की कोई न कोई किरण होती है, जो हमें कभी जीवन से भटकने नहीं देती.
5- सफलता दूर हो सकती है, लेकिन वह मिलती जरूर है.
6- सफलता हमेशा असफलता के स्तंभ पर खड़ी होती है, इसलिए किसी को भी असफलता से घबराना नहीं चाहिए.
7- याद रखिए सबसे बड़ा अपराध, अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है.
8- संघर्ष ने मुझे मनुष्य बनाया, मुझमें आत्मविश्वास उत्पन्न हुआ, जो पहले मुझमें नहीं था.
9- उच्च विचारों से कमजोरियां दूर होती हैं, हमें हमेशा उच्च विचार पैदा करते रहना चाहिए.
10- तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पिता का नाम जानकीनाथ और माता का नाम प्रभावती देवी था. नेताजी के पिता उन्हें आईएएस ऑफिसर बनाना चाहते थे, ऐसे में उन्होंने अपने पिता की इस इच्छा का सम्मान करते हुए आईएएस की परीक्षा दी और उसमें सफल भी हुए, लेकिन उन्हें ब्रिटिश सरकार की हुकूमत में रहकर काम करना स्वीकार्य नहीं था, इसलिए अपने पद से इस्तीफा देकर इन्होंने आजादी की लड़ाई में शामिल होने का फैसला किया. देश के स्वाधीनता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताजी की 18 अगस्त 1946 को एक विमान दुर्घटना में मौत हो गई.